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बच्चों के भविष्य के लिए गरियाबंद में सामूहिक प्रयास जारी, शिक्षक पालक और समाज एक साथ मिलकर उठा रहे बच्चों की जिम्मेदारी

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Jan 23, 2019

पुरूषोत्तम पात्रा : बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल जितना जरूरी है उतना ही परिवार और समाज का साथ भी जरुरी है, परिवार और समाज में रहकर बच्चें कई शिक्षायें स्वयंमेव ही ग्रहण कर लेते है, और यदि बच्चों के भविष्य के लिए शिक्षक पालक और समाज एक साथ मिलकर पहले करे तो परिणाम सकारात्मक ही आयेंगे।

उज्जवल भविष्य की राह ताकते ये बच्चे गरियाबंद जिले के धुरसा प्राथमिक शाला के है, शाला में बच्चों के अलावा कुछ ग्रामीण भी नजर आ रहे है, जिनमें महिला और पुरुष दोनों शामिल है, इनमें से कोई बच्चों के पालक है तो कोई समाज सेवी, शाला में ये सभी इसलिए एकत्रित हुए है ताकि गॉव के बच्चों के भविष्य को लेकर कोई योजना बनायी जाये और शिक्षिकों के साथ पालक और समाज के लोग भी बच्चों की बेहतरी के लिए अपनी जिम्मेदारी समझे और उसे निभाये।

स्कूल में उपस्थित सभी को उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराया गया, मात्रीउन्मुखी कार्यक्रम आयोजित कर माताओं को बच्चों के बेहतर लालन पालन की जानकारी दी गयी, समाज के लोगों ने भी अपनी जिम्मेदारी निभायी, एक समाजसेवी ने बच्चों को कंप्यूटर भेंट किया ताकि बच्चे ज्ञान अर्जित कर सके, पिछले साल शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षक ईश्वरी सिन्हा वैसे तो फिलहाल बालौद जिले में अपनी सेवाएं दे रहे है, मगर वे इसी गॉव के निवासी है और यही से उन्होंने अपनी शिक्षा पुरी की है, ग्रामीणों ने उनका भी सम्मान किया, गॉव के स्कूल में पदस्थ शिक्षको ने भी ईश्वरी सिन्हा की तरह कार्य करने और जिम्मेदारी निभाने का भरोसा दिलाया।

वैसे तो स्कूल ही शिक्षा का मंदिर है, मगर समाजिक प्राणी होने के नाते इंसान को अपने परिवार और समाज से भी कई प्रकार के व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त होते है, जो जीवन में उतने ही जरुरी है जितने स्कूल से अर्जित की गयी शिक्षा है, ऐसे में बच्चों को बेहतर इंसान बनाने के लिए स्कूली शिक्षा के साथ साथ व्यवहारिक शिक्षा मिलना भी बहुत जरुरी हो जाता है और ये तभी संभी है जब परिवार और समाज भी एक शिक्षक की तरह अपनी जिम्मेदारी निभायें।