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मनरेगा की राशि न मिलने पर गरीब बाप ने दी परिवार सहित आत्मदाह की चेतावनी, बेटी की शादी करने के लिए उठाया ऐसा कदम

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Jan 24, 2019

पुरूषोत्त्म पात्रा : अगले महीने बेटी के हाथ पीले करने है मगर गरीब बाप के हाथ में फूटी कौड़ी भी नही है, सप्ताहभर में मिलने वाली मनरेगा मजदूरी भी पीड़ित परिवार को सालभर बाद नही मिल पायी है। ऐसे में गरियाबंद के इस गरीब बाप ने मनरेगा की राशि जल्द नही मिलने पर परिवार सहित आत्मदाह की चेतावनी दी है।

खूंटगांव के प्रभुलाल का परिवार इन दिनों बड़ी मुसीबत में है, परिवार के मुखिया प्रभुलाल के पास आमदनी का एक ही जरिया था मनरेगा, उसी में काम करके वह अपने परिवार का अबतक गुजर बसर करता रहा है, मगर इस बार एक साल बाद भी उसे मजदूरी का भुगतान नही मिल पाया, प्रभुलाल की मुसीबत इसलिए और ज्यादा बढ़ गयी है कि अगले महीने उसकी तीन बेटियों में से बड़ी बेटी की शादी तय हुई है मगर हाथ में पैसा ना होने के कारण वह शादी की तारीख पक्की नही कर पा रहा है। प्रभुलाल ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि पिछले साल जनवरी में उसने अपनी पत्नी और बड़ी बेटी के साथ 4 हफ्ते तक मनरेगा में काम किया था जिसका 7 हजार का भुगतान उसे अबतक नही मिला, जबकि इसके लिए वह 40 बार से अधिक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट चुका है।

पैसा नही मिलने से प्रभुलाल के साथ साथ उसका पूरा परिवार परेशान है, उनकी पत्नी ईश्वरी बाई को समझ नही आ रहा है कि आखिर बिना पैसे के वे अपनी बेटी की शादी कैसे कर पाएंगी, ईश्वरी के मुताबिक उनके पास घर भी नही है झोपड़ी में रहकर गुजर बसर कर रहे है, 7 हजार की रकम उनके लिये बहुत बड़ी है, यदि ये पैसा उन्हें नही मिला तो बेटी के हाथ पीले करना उनके लिए मुश्किल हो जाएगा।

प्रभुलाल का दावा है कि दफ्तरों के लगातार चक्कर काटने के बाद भी उसे अबतक भुगतान नही हुआ, मगर जिम्मेदार अधिकारी अपनी गलती मानने की बजाय प्रभुलाल पर ही बैंक में जरूरी दस्तावेज समय पर जमा नही कराने का आरोप मढ रहे है।

यदि जिला प्रशासन और बैंक अधिकारियों द्वारा कोई त्रुटि सुधारने में इतना वक्त लगता है तो सवाल उठने लाजमी है, जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण आज प्रभुलाल के लिए अपनी बेटी की शादी करना मुश्किल हो गया है, वैसे गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखण्ड में प्रभुलाल अकेला ऐसा पीड़ित नही है जिसको सालभर बाद भी मनरेगा का भुगतान ना हुआ हो बल्कि उसके जैसे 150 से ज्यादा मजदूर है जो मजदूरी भुगतान के लिये सालभर से अधिकारियों के चक्कर काट रहे है, और अधिकारी है कि अपनी गलती सुधारने की बजाय मजदूरों पर गलती करने का ठीकरा फोड़ने में लगे है।