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गरियाबंद में स्कूल भवन हुए जर्जर, बच्चों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा

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Aug 8, 2018

पुरूषोत्तम पात्रा : गरियाबंद जिले में शिक्षा व्यवस्था पुरी तरह चरमरा गयी है, शिक्षकों की कमी तो है ही जर्जर और अधूरे भवन भी कम नही है, इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड रहा है। ये तस्वीरे ये बताने के लिए काफी है कि गरियाबंद जिले के स्कूल भवनों के हालात क्या है, और बच्चे कैसे जान जौखिम में डालकर इन खण्डहरों में बैठकर पढाई करने पर मजबूर है, चिलचिलाती धूप हो या कडकडाती ठंड हो या फिर तेज आंधी बारिश हो, बच्चों को ये सब इन्ही खण्डहरों में झेलनी पडती है, यही नही कब स्कूल की छत गिर जाये या फिर किसी स्कूल की दीवार ढह जाये इसका डर भी हमेशा बना रहता है, कुछ स्कूल तो जिले में अभी भी ऐसे है जो झोपडी में संचालित हो रहे है।

गरियाबंद जिले में ऐसे हालात किसी एक स्कूल के नही है, बल्कि ऐसे दर्जनों स्कूल है जो या तो अधूरे पडे है या फिर जर्जर हालत में है, जिले के पांच विकासखंडो में से अकेले देवभोग विकासखंड की बात की जाये तो यहॉ तीन दर्जन से ज्यादा भवन कई साल से अधूरे पडे है, और लगभग इतने ही स्कूल जर्जर स्थिति में है जो कभी किसी बडे हादसे का शिकार हो सकते है, ऐसा नही है कि शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी नही है बल्कि विभागीय तौर पर तो स्थानीय अधिकारियों ने जानकारी दी ही है इसके अलावा स्कूल भवनो की समस्या से जुझ रहे गॉव के लोगो द्वारा भी कई-कई बार आवेदन देकर अवगत कराया गया है।

सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि अभी भी जो स्कूल भवन बन रहे है उनमें भी गुणवत्ता का ख्याल नही रखा जा रहा है, ये आरोप हम नही बल्कि सरकार के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि लगा रहे है, ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों स्थानीय सांसद चंदूलाल साहू के सामने आया, जब वे लाटापारा हाई स्कूल का उद्घाटन करने पहुंचे तो वहा के नवनिर्मित भवन की हालत देखकर उऩ्होंने स्कूल भवन का लोकार्पण करने से ही मना कर दिया। जिले में शिक्षा व्यवस्था किसी से छुपी नही है, बच्चे अधूरे और जर्जर भवनों में बैठकर अपना भविष्य तलाशने की कवायद में जुटे है, जबकि शासन और प्रशासन आल ईज वेल का राग अलप रहा है।