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गोदग्राम कुल्हाडीघाट से 137 मजदूरों ने किया पलायन, पलायन के पीछे की वजह अज्ञात

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Dec 7, 2018

पुरूषोत्तम पात्रा : गरियाबंद में पलायन की लगातार खबरें मिलने के बाद ये बात सामने आयी है, आखिर क्यों लोग पलायन करने पर मजबूर होते है। बता दें कि गरियाबंद के डांगनबाय से बंधक बनाये गये 27 मजदूरों को जिला प्रशासन मुक्त करा भी नही पाया कि इसी बीच सासंद गोदग्राम कुल्हाडीघाट से 137 मजदूरों के पलायन की खबर सामने आ गयी, मामला तूल ना पकड़े इसीलिए जिला प्रशासन के नुमाइंदे आनन फानन में कुल्हाडीघाट पहुंच गये और सबकुछ ठीक होने का दावा कर दिया, उसके दो दिन अब देवभोग विकासखंड की सुकलीभाठा पंचायत के दाबरीभाठा गांव से मजदूरों के पलायन की बात सामने आयी है।

ग्रामीणों ने पलायन के पीछे की जो वजह बतायी है सरकार और जिला प्रशासन के कामकाज के लिहाज से वह बिल्कुल सही नही है, ग्रामीणों ने बताया कि गॉव में तीन साल से रोजगार गांरटी का कोई काम नही हुआ उस समय भी जो काम हुआ था उसका भी पैसा उन्हें अबतक नही मिला, यही नही मनरेगा के तहत जो शौचालय बनाये गये उनका मेहनताना भी ग्रामीणों को नही मिला।

दाबरीभाठा के लोग केवल रोजगार को लेकर ही परेशान नही है, बल्कि ग्रामीणों का आरोप है कि उनके गॉव में विकास नाम की कोई चीज नही है, सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि पंचायत मुख्यालय से उनके गॉव तक पहुंचने के लिए एक सडक तक नही है, ग्रामीण आज भी कच्ची पगडंडी के सहारे 6 किमी चलकर पंचायत मुख्यालय पहुंचते है, सबकुछ स्पष्ट होने के बाद भी स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की दलीले ग्रामीणों के जख्मों पर नकम छिडकने से कम नही है, गॉव के सरपंच का दावा है कि ग्रामीण रोजगार गांरटी में काम नही करना चाहते, जनपद पंचायत सीईओ का कहना है कि मनरेगा की राशि तो बहुत पहले जारी हो गयी है।

लगातार पलायन की खबरे सामने आने के बाद भी रोकथाम के लिेए कोई ठोस पहल ना करना जिला प्रशासन की कार्यशैली पर तो सवाल खडे करता ही है जनता के रक्षक होने का दावा करने वाले स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है, ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आखिर पलायन कैसे रुकेगा और ग्रामीणों को गॉव में ही रोजगार के अवसर कैसे उपलब्ध होंगे।