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कोटाः छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों के 172 जोड़े का सामुहिक विवाह संपन्न  

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May 8, 2019

डब्बू ठाकुर- अक्षय तृतीया के अवसर पर पिछले वर्षों की भांति ही इस वर्ष भी महामाया मंदिर ट्रस्ट ने मंगलवार को सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों के 172 जोड़े शादी के बंधन में बंधे। मंदिर प्रबंधन ने लगातार 20वें वर्ष आयोजित इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम में नव दम्पत्तियों को पर्यटन मण्डल सदस्य छत्तीसगढ़ शासन भूपचंद शुक्ला, मैनेजिंग ट्रस्टी सुनील सोन्थलिया, सतीश शर्मा, कीमती लाल जुनेजा और ट्रस्टी संतोष शुक्ला, भगवान आश्रय जायसवाल, मनराखन जायसवाल, त्रिपाठी ने आशीर्वाद देकर सफल दाम्पत्य जीवन की कामना की। इस सम्बन्ध में मंदिर ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी सुनील सोन्थलिया ने बताया कि 172 जोड़ों ने इस सामूहिक विवाह समारोह में भाग लिया है।

नवदम्पत्तियों को ट्रस्ट द्वारा बर्तन, जेवर, कपड़ा, सुहाग का सामानों की भेंट

इस विवाह कार्यक्रम में शामिल नव दम्पत्तियों को ट्रस्ट द्वारा बर्तन, जेवर, कपड़ा, सुहाग का सामान सहित पूजापाठ की सामग्री व मंडप के नीचे का समस्त सामान ट्रस्ट द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। इस बार छत्तीसगढ़ समेत एमपी से भी रतनपुर आकर वर-वधुओं ने सात फेरे लिए। सुबह 11 बजे बगैर बैड बाजे एवं आतिशबाजी के 173 दूल्हों की बारात निकली। जिसके करीब 25 हजार लोग साक्षी बने, जो कि काफी शांतिपूर्ण बरात  था। अभिजीत मुहूर्त में पाणिग्रहण का कार्यक्रम हुआ और वर-वधू पंडाल में बने अपने-अपने स्थान में बैठकर वैदिक रीति-रिवाज से पं. आचार्य राममूर्ति मिश्रा और उपाचार्य आनंद मिश्रा, सतीश शर्मा, अनुभव पाठक के मंत्रोच्चारण के साथ पूरे विधि-विधान से परिणय सूत्र में बंधे।

विकलांग वर भी परिणय सूत्र में बंधे

महामाया मंदिर में बुधवार को आयोजित हुए सामूहिक विवाह में मस्तूरी के हिर्री निवासी दूल्हा बिनोद दोनों पैर से विकलांग है। जबकि दुल्हन रामाबाई न बोल सकती है और न ही सुन सकती है। इसी तरह से सुरेश भी दोनों पैर से विकलांग है, जिसकी पत्नी शिवमती बनी हैं।

आपसी सहमित से अंतर जातीय विवाह कराए गए

सामूहिक विवाह समारोह में 8 से 10 जोड़ों का करीब अंतर्जातीय विवाह होना महामाया ट्रस्ट पदाधिकारियों के द्वारा बताया जा रहा है। जिसमें सुरेखा राज पति सौरभ सोहन गांधीनगर निवासी के साथ विवाह संपन्न हुआ है। इसी तरह से हिंदू रीति रिवाज परंपरा के अनुसार याकूब खान पिता गोरे खान सरकंडा बिलासपुर का विवाह सुमन पिता गंगा कोसले बगु बुडा़ के साथ संपन्न हुआ है। इस विवाह को लेकर मंडप स्थल पर सभी की नजरें इसी ओर थीं। जिसके कारण यह विवाह काफी चर्चाओं के साथ संपन्न हुआ। आपसी एवं पारिवारिक सहमति से अंतरजातीय विवाह कर समाज के सामने अनूठी मिसाल कायम की है।

महामाया अतिथि निवास में ठहरने और खाने की रही निःशुल्क व्यवस्था  

अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में शामिल होने आने वाले वर-वधु व उनके परिजनों के ठहरने व खाने की निःशुल्क व्यवस्था मंदिर प्रबंधन द्वारा मंदिर परिसर में स्थित महामाया अतिथि निवास में की गई थी। सुबह 8.30 बजे से तेल हल्दी के साथ वैवाहिक कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

महामाया ट्रस्ट की तरफ से वर-वधू को मिले उपहार

नव युगलों को महामाया मंदिर ट्रस्र्ट द्वारा मंगल सूत्र, सोने की फुल्ली, पायल, बिछिया, अंगूठी और कुर्ता पायजामा, बनियान, दुपट्टा, पगड़ी, कटार, कलगी, कन कन, हथवा, साड़ी, ब्लाज, पेटीकोट, श्रंगार पेटी, 2 नग थाली, लोटा, गिलास, गंजी, तेल, हल्दी, कलश, मंगरोहन, धूप, दीप निःशुल्क उपलब्ध कराए गए।

महामाया मंदिर ट्रस्ट ने नव युगल दंपति को पौधे दिए

सिद्ध शक्ति पीठ मां महामाया मंदिर के मैनेजिंग ट्रस्टी सुनील सोन्थलिया जी ने बताया कि सभी नवयुगल दंपति को पौधे दिया गया है, जो कि अपने घरों में लगाएंगे। जिससे आने वाले भविष्य में पर्यावरण प्रदूषण से लोगों को मुक्ति मिले। वहीं ऐसे सामूहिक विवाह समारोह में लोगों को एक नई सीख मिलेगी।