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62 वर्षीय महिला बना रही रिकॉर्ड, शासन ने भी नहीं दिया कोई सहयोग

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Mar 7, 2018

62 वर्षीय महिला बना रही रिकॉर्ड, शासन ने भी नहीं दिया कोई सहयोग
उम्र के उस पढ़ाव में जब लोग रिटायरमेंट लेकर घर में आराम करते हैं, दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं वहीं दूसरी ओर कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ में रहने वाली एक ६२ वर्षीय महिला रिटायरमेंट लेने के बाद जो कर रही है वह किसी हैरत से कम नही है। इस उम्र में भी रोजाना मैदान में जाकर २ घंटे की प्रेक्टिस जिसमें १६०० मीटर की दौड़ करने के बाद नियमित अभ्यास करती है। यही वजह है कि उन्होंने भारत के कई राज्यों में अपने प्रदर्शन के बल पर कई खिताब हासिल किये हैं। उन्हें शासन की ओर से आज तक कोई उल्लेखनीय सहयोग नही मिला लेकिन उसके बावजूद भी सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पेंशन से वे अपना अभ्यास जारी रखे हुये हैं।
 
शकुंतला की प्रारंभिक शिक्षा
३१ जुलाई १९५५ में जन्मी शकुंतला सिंह की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा अंबिकापुर में हुई। दसवीं तक पढ़ने के बाद उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई की। ट्रेनिंग पूरा होने के बाद १९८२ में एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के साऊथ झगराखाण्ड चिकित्सालय में इन्हें नर्स की नौकरी मिली। नर्स की नौकरी करने के साथ ही साथ ये बचपन से ही खेलकूद में रूचि होने के कारण इन्हें कई बार एसईसीएल की ओर से क्षेत्रीय, अंर्तक्षेत्रीय, अंर्तराज्यीय स्तर पर अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन का अवसर मिला। एक बाद शकुंतला के कदम जब आगे बढ़ चले तब फिर उन्होंने कभी पलटकर पीछे नही देखा। 

उपलब्धियों के लिये हुई सम्मानित 
एसईसीएल की ओर से होने वाली एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में शॉटपुट, हैमर थ्रो, भाला फेंक, जेवलिन थ्रो जैसे खेलों में ये पूरे उत्साह के साथ भाग लेती थी और इन्हें कई बार इनकी उपलब्धियों के लिये सम्मानित भी किया गया। इनके पति रणफतह सिंह भी एसईसीएल में कर्मचारी हैं। इन्होंने भी बराबर अपनी पत्नी का सहयोग किया, जिसकी बदौलत आज वे इस मुकाम पर हैं। शासकीय सेवा के साथ ही साथ इन्होंने अपने आप को हर तरीके से फिट रखने के लिये घर में काम करने के लिये कोई नौकर भी नही रखा। परिवार के सभी कार्यो के साथ ही साथ वे अपनी ड्यूटी भी करती रहीं। 

राष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में हुई शामिल 
शकुंतला विदिशा मध्यप्रदेश में आयोजित ३७वीं राष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में  शामिल हो चुकी हैं। वहीं उन्हें दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित फर्स्ट इंडो बांग्लादेश मास्टर मीट २०१८ में शॉटपुट, हैमर थ्रो, जेवलिन थ्रो में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। छ.ग. में आयोजित १३वीं स्टेट मास्टर एथलेटिक चैम्पियनशिप में इनको हैमर थ्रो, जेवलिन थ्रो, शॉट पुट में प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया इसके साथ ही बस्तर में आयोजित द्वितीय नेशनल इन्विटेशन मास्टर ट्रेक एंड फील्ड मीट हैमर थ्रो में १४.६५ मीटर थ्रो कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके अलावा बस्तर में आयोजित द्वितीय नेशनल इन्विटेशन मास्टर ट्रेक एंड फील्ड मीट शॉटपुट में ५.५४ मीटर थ्रो कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। 

खुद के लिए नियम बनाने होंगें
इसके साथ ही साथ वे बैंगलोर, चेन्नई, विदिशा, हैदराबाद, केरल, कोयम्बटूर, गोवा, दिल्ली, कुआलालम्पुर मलेशिया, चंडीगढ़ जैसे स्थानों में जाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी हैं। शकुंतला का मानना है कि अगर हमें अपनी मंजिल हासिल करनी है तो उसके लिये हमेंं खुद पर अनुशासन करना होगा। खुद के लिये नियम बनाने होंगे। मैंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये कभी कोई समझौता नही किया। मैने स्वयं की मेहनत पर सबसे ज्यादा भरोसा किया, यही वजह है कि मैंने जितना सोचा उससे कहीं ज्यादा हासिल कर लिया। शकुंतला कहती हैं कि महिलाओं को अपने परिवार का तो ध्यान रखना ही चाहिये लेकिन अगर उनके भीतर कोई विशेष दक्षता है तो उसे निखारने के लिये स्वयं प्रयास करना चाहिये। जब हम प्रयास करेंगे तो हमारे परिवार और परिचित के लोग भी हमारा सहयोग करेंगे। 

लड़कियों का उत्साहवर्धन करते हुए कही ये बात
अपने संदेश में लड़कियों का उत्साहवर्धन करते हुये कहती हैं कि स्वयं को फिट रखने के लिये नियमित व्यायाम व योग करें। फॉस्ट फूड खाने से बचे। अपने भोजन में हरी सब्जियॉ, सलाद व फलों को जरूर शामिल करें। इसके अलावा शिक्षा पर जरूर ध्यान दें। साथ ही साथ स्कूल में होने वाली साहित्यिक, सांस्कृतिक खेलकूद प्रतियोगिताओं में जरूर शामिल हों। सेवानिवृत्ति के बाद शकुंतला अपने आप को फिट रखने के लिये रूटीन वर्कऑउट करती हैं, इसके साथ ही साथ अपने खानपान का भी ये विशेष ध्यान रखती हैं। रोजाना सुबह ५ बजे उठकर अपने घर का काम निपटाने के बाद ये अपनी प्रेक्टिस के लिये निर्धारित समय निकाल ही लेती हैं। 

शासन द्वारा बरती जा रही उपेक्षा से काफी नाराजगी 
एथलेटिक्स के क्षेत्र में इतनी उपलब्धियों के बाद भी शकुंतला सिंह को शासन द्वारा बरती जा रही उपेक्षा से काफी नाराजगी है। उन्होंने बताया कि वे जहां भी खेल प्रतियोगिताओं में जाती हैं वहां उन्हें स्वयं के व्यय से आना जाना पड़ता है। इसमें उनका काफी खर्च होता है। लेकिन उन्हें कोई सहयोग नही मिलता। आयोजकों की ओर से उन्हें खेल प्रतियोगिता में शामिल होने के लिये आमंत्रण तो दिया जाता है लेकिन मार्ग व्यय व अन्य कोई खर्च नही मिलता। जिसकी वजह से उन्हें अपनी पेंशन से ही खर्च करना पड़ता है।