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“आभाव पर मेहनत भारी” गरियाबंद के बीहड जंगल में संचालित स्कूल बना इसका सब से बड़ा उदाहरण

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Jan 6, 2019

पुरुषोत्तम पात्रा - गरियाबंद का कुलाहाडीघाट हाई स्कूल प्रदेश के उन गिने चुने सरकारी स्कूलों में शामिल है जहां का दसवीं बोर्ड का परिणाम अव्वल रहता है इस स्कूल का नाम प्रदेश के उन 61 स्कूलों में भी शामिल है जिसका 2016-17 का दसवीं बोर्ड का रिजल्ट शत प्रतिशत था, यहीं नही 2017-18 का रिजल्ट भी जिलेभर में अव्वल रहा, कुलाहडीघाट जैसे स्कूल के लिए ये उपलब्धि और भी बडी हो जाती है क्योंकि यहां सुविधा के नाम पर कुछ भी नही है स्कूल बीहड जंगल में संचालित है कोई शिक्षक यहां आना नही चाहता 2011 से यहां हाई स्कूल संचालित मगर अबतक एक भी शिक्षक की नियुक्ति नही हुई मिडिल स्कूल में पदस्थ एक और प्रायमरी स्कूल में पदस्थ दो शिक्षक ही मिलकर 8 साल से हाई स्कूल संचालित कर रहे है ऐसे में बोर्ड का परिणाम शत प्रतिशत लाना किसी आश्चर्य से कम नही है स्कूल के प्रभारी प्राचार्य नागेन्द्र सिंह इसे साथी शिक्षकों और स्कूली बच्चों की मेहनत का नतीजा बता रहे है।

शिक्षा विभाग कुल्हाडीघाट स्कूल बना प्रेरणा का स्त्रोत

शिक्षकों की मेहनत का असर यहां के बच्चों की सोच पर साफ नजर आने लगा है बच्चों में विश्वास है कि वे फेल नही होंगे बल्कि अच्छे अंको से पास होंगे यही नही इसके लिए वे अपने शिक्षकों की बात मानते है स्कूल के आलाव घर पर भी होमवर्क करते है जिला शिक्षा विभाग कुल्हाडीघाट को जिले के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बता रहा है गांव के लोगग भी शिक्षकों के कामकाज से काफी प्रभावित है उन्हे विश्वास है कि इन शिक्षकों के रहते उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित है, बच्चें भी अपने शिक्षकों की तारिफ करते नही थक रहे है।

स्कूल में आज तक नहीं हुई किसी शिक्षक की नियुक्ति

ऐसा स्कूल जो बीहड जंगल में संचालित हो जिस स्कूल के खुलने से लेकर आज तक एक भी शिक्षक की नियुक्ति नही हुई हो जहां केवल आदिवासी बच्चे पढ़ते हो उस स्कूल का दसवीं बोर्ड परिणाम शत प्रतिशत आना कोई मामूली बात नही है, यह वहां पढाने वाले शिक्षकों और पढ़ने वाले बच्चों की लगन का नतीजा तो है ही साथ उन शिक्षकों और बच्चों के लिए भी प्रेरणादायक है जो हमेशा सुविधाओं का रोना रोकर बेहतर परिणाम से कोसो दूर हो जाते है।