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कोरबाः वन विभाग की एक नई पहल, जंगल के भीतरी इलाकों में लगा रहा नेटवर्क का टावर

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May 17, 2019

मनोज यादव- आये दिन हो रहे वन्य प्रणियों के संहार के चलते वन विभाग ने फैसला किया है कि जंगलों में नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध कराई जाये। नेटवर्क की कमी से जूझ रहा वन विभाग कोरबा में जंगल के भीतरी इलाकों में टॉवर लगाने जा रहा है। साथ ही कर्मियों को अब वायरलेस हैंण्डसेट भी दिया जाएगा, ताकि अपात स्थिति में अधिकारियों से संपर्क कर उन तक जानकारी तत्काल पहुंच सके।

कोरबा वनमंडल के 6 रेंज में से पांच रेंज बालको, लेमरू, पसरखेत, कुदमुरा व करतला पूरी तरह से वनांचल क्षेत्र हैं। यहां पर कई ऐसे इलाके हैं, जहां पर नेटवर्क नहीं है। नेटवर्क के अभाव में वन कर्मियों को सबसे अधिक परेशानी होती है।

हाथी प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से आये दिन जंगलों में हादसे होते हैं

हाथी प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से पल-पल की जानकारी अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाती। जब तक बीटगार्ड जंगल से निकलकर नेटवर्क में आने के बाद फोन कर जानकारी देता है, तब तक हाथियों का लोकेशन ही बदल जाता है। ऐसे में हाथी दूसरे गांव तक पहुंच जाते हैं और वन विभाग के पास जानकारी ही नहीं होती। इसी वजह से हाथियों को गांव की सीमा से घुसने से पहले ही खदेडऩे में काफी देरी होती है। इन परेशानियों को देखते हुए वन विभाग ने निर्णय लिया है कि ऐसे वनांचल क्षेत्रों में अब वायरलेस सिस्टम के लिए टावर लगाया जाएगा। कुल 4 जगह टॉवर लगाए जाएंगे।

वायरलेस हैंडसेट खरीद कर वन्य कर्मियों को दिया जायेगा

इसी तरह वायरलेस हैंडसेट की भी खरीदी होगी। कुल 42 वायरलेस हैंण्डसेट की खरीदी होगी। ताकि वन कर्मी जंगलों में होने वाली हर गतिविधि की जानकारी समय पर दे सके। वनांचल क्षेत्रों के बीट कार्यालय व हाथी मित्र दल के पास भी मोबाइल सेट रहेगा। कुल 17 नग मोबाइल सेट की खरीदी होगी। वायरेलस हैंडसेट वॉकीटॉकी के साथ इसकी भी जरूरत पड़ेगी। कई बार हाथियेां का झुंड एक ही रेंज के कई गांव में उत्पात मचाते रहते हैं। ऐसे समय पर रेस्कयू करते समय अक्सर निचले स्तर के कर्मचारी, बीट गार्ड तक सूचना तक नहीं मिल पाती। इससे पहले गजराज परियोजना के तहत विभाग ने कुल 22 लाख का प्रस्ताव बनाया था। अभी इस पर काम शुरू होना है। इसके लिए विभाग तैयारी में जुटा हुआ है। टॉवर लगाने के लिए जगह चिंहित किए जा रहे हैं।

बहरहाल अब देखना होगा कि कोरबा वन मंडल में वायरलेस की इस नई सुविधा का कितना लाभ अधिकारियों और कर्मचारियों को मिल पाता है।