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बलौदाबाजारः शासन की योजनाओं से वंचित, गंभीर स्थिति में पाई गई एक आदिवासी महिला

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Jul 1, 2019

अरविन्द मिश्रा- बलौदाबाजार जिले के पलारी विकासखंड में एक आदिवासी महिला और उसकी बच्ची को गंभीर स्थिति में बाल संरक्षण विभाग ने जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया है। महिला को शासन की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।

पलारी दतान की एक आदिवासी महिला और उसके बच्चे की तस्वीर को किसी ने बाल संरक्षण आयोग को भेजा। इस पर बाल संरक्षण आयोग के कार्यकर्ता उसके घर पहुंचे और उसकी स्थिति को देखकर हैरान रह गये। मरणासन्न अवस्था में पडी महिला एवं उसकी बच्ची को तत्काल जिला चिकित्सालय में इलाज हेतु भर्ती कराया गया।

महिला एक टुटीफुटी झोपडी में मरणासन्न अवस्था में थी पड़ी

पूरी कहानी बलौदाबाजार जिले के पलारी विकासखंड के ग्राम दतान की इस प्रकार है। जहां एक टुटी फुटी झोपडी में रहने वाली आदिवासी महिला और उसके परिवार को शासन की किसी भी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। न ही इस महिला का राशन कार्ड बना है और न ही आधार कार्ड। मरणासन्न स्थिति में पहुंची आदिवासी महिला की झोपडी और उसकी तस्वीर को किसी ने बाल संरक्षण विभाग बलौदाबाजार को भेजा। जिस पर संज्ञान लेकर टीम ने वहां पहुंचकर जांच की तो बड़ा ही चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। जब टीम के सदस्य पहुंचे तो महिला एक टुटीफुटी झोपडी में मरणासन्न अवस्था में पड़ी थी। वहीं उसकी बेटी नग्न अवस्था में अपने मां के पास डरी सहमी सी भुखे पेट बैठी हुई थी। उनकी हालात को देखकर ऐसा लगता था जैसे कई महीनों से नहाये नहीं है। ऐसी स्थिति को देखकर महिला कार्यकर्ता अर्चना वैष्णव ने उस बच्ची को पहले नहलाया, कपडा पहनाया तथा उसकी मां को उठाकर चिकित्सालय में भर्ती कराया है, जहां उसका इलाज जारी है।

शासन की किसी भी योजना का नहीं मिलता है लाभ

इस संबंध में कार्यकर्ता ने बताया कि हमारे अधिकारी को सूचना मिली थी, जिस पर हमारी टीम वहां पहुंची और महिला और उसकी बच्ची को लेकर आये हैं। जब इस बारे में सरपंच से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। वहीं आंगनबाडी कार्यकर्ताओं और मितानिनों को भी जानकारी नहीं थी। इस आदिवासी महिला को शासन की किसी भी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है जबकि इन्हे यहां रहते कई वर्ष बीत चुके हैं। न ही इस महिला का राशन कार्ड बना है और न ही आधार कार्ड। मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुकी महिला का सुध लेने वाला कोई नहीं है।

महिला का न राशन कार्ड बना है और न ही आधार कार्ड

जब इस संबध में ग्राम दतान के सरपंच महेश बारले से मोबाईल पर चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं थी, न ही महिला के बारे मे पंचों ने बताया था। उसका राशन कार्ड नहीं बना है और न ही आधार कार्ड। जब जानकारी मिली तो कल इन्हें टीम के साथ जाकर चिकित्सालय में भर्ती कराये है। यहां हैरान करने वाली बात यह है कि चुनाव के समय हर एक घर जाकर मतदाता पर्ची बांटी जाती है। वोट डलवाने के लिए जनप्रतिनिधि घर-घर जाते हैं। फिर किसी की नजर इस महिला और उसके परिवार पर कैसे नहीं पड़ी। वहीं आदिवासी समाज भी इस पर कभी ध्यान नहीं दिया, यह बड़े ही आश्चर्य की बात है। बाल संरक्षण बलौदाबाजार की टीम के संज्ञान लेने के बाद अब शायद इस महिला को उसका अधिकार मिल पायेगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है।