Dec 27, 2018
सुशील सलाम - एक ओर जहां इलाको में कूपोषण समेत तमाम बिमारीयो से लड़ने प्रशासन अपनी मूस्तैदी दिखाता है वहीं दूसरी ओर परलकोट क्षेत्र में नन्हे मून्हे नौनीहालो के प्रति शासन-प्रशासन कितना गम्भीर है इस बात का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बच्चो के लिये आंगनबाड़ी तक बनाने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है जिससे नन्हे मुन्हे बच्चे अपनी जान को जोखीम मे डालकर झोपड़ी में अपने भवीष्य को गढ़ने को मजबूर है।
बांस बल्ली से बने झोपड़ी में आंगनबाड़ी संचालीत
जिम्मेदार अधिकारीयो कि अनदेखी कहें या प्रशासन कि लापरवाही जो परलकोट क्षेत्र के कई आंगनबाड़ी भवनविहीन है कई आंगनबाड़ी भवनविहीन होने के कारण झोपड़ी में संचालीत हो रही है स्थिति इतनी दयनीय है कि कई आंगनबाड़ी ऐसे है जो किराये के मकान में चल रहे है तो कई आंगनबाड़ी ऐसे भी है जो बांस बल्ली से बने झोपड़ी में संचालीत हो रही है। ऐसा ही मामला है पखांजूर मुख्यालय से करीबन 55 किलोमिटर दूर स्थित तोकाजबेली गांव का है जहां आंगनबाड़ी संचालीत करने के लिये पंचायत में न तो आंगनबाड़ी भवन है और न ही कोई वैकल्पीक व्यवस्था। बांस बल्ली से बने झोपड़ी में आंगनबाड़ी संचालीत किया जा रहा है।
आंगनबाड़ी की समस्या को लेकर सभी अधिकारी अवगत
इस विषय पर गांव के ग्रामीणो से जब बात कि गई तो ग्रामीणो को साफ कहना था कि इस विषय में ग्राम पंचायत से लेकर क्षेत्रीय तमाम जनप्रतिनीधी और कलेक्टर से लेकर विधायक तक को समस्या के बारे में अवगत कराया गया है लेकिन किसी जनप्रतिनीधी ने समस्या को गम्भीरता से लिया और न ही कलेक्टर और मंत्री ने जब किसी ने ध्यान नही दिया तो खुद के नीजी रूपयों से बांस बल्ली के जरीये आंगनबाड़ी के लिये झोपड़ी बनाया गया और उसी में संचालीत कि जा रही है।
बाल विकास अधिकारी ने पल्ला झाड़ा
परलकोट क्षेत्र के बेलगाल, माचपल्ली समेत 109 आंगनबाड़ी भवन विहीन है, जिससे किराये के मकान और झोपड़ी में संचालीत कि जा रही है इस सम्बंध में जब पखांजूर के महीला एवं बाल विकास अधिकारी से बात कि गई तो उच्च अधिकारीयो को अवगत कराने और इस विषय में कूछ न बोलने का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिये।