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बस्तरः बस्तर की प्राणदायनी इंद्रावती नदी को बचाने के लिये जागरूक जनता ने शुरू की पदयात्रा

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May 9, 2019

आशुतोष तिवारी- बस्तर की प्राणदायनी इंद्रावती नदी को बचाने के लिए बुधवार से पदयात्रा की शुरुआत कर दी गई है। तडके सुबह जगदलपुर स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर के दर्शन के बाद शहर के जागरूक जनता छत्तीसगढ़-ओडिसा सीमा में स्थित भेजापदर ग्राम पहुंचे। यहीं से इंद्रावती नदी छतीसगढ़ में प्रवेश करती है। स्थानीय ग्रामीणों के साथ शहरवासियों ने अभियान की शुरुआत इसी नदी तट से की। इंद्रावती बचाओ, बस्तर बचाओ के नारे के साथ पदयात्रा इंद्रावती नदी के तट से होते हुए आगे बढ़ी। नदी किनारे पड़ने वाले गांव के लोगों ने जगह-जगह पद यात्रियों का स्वागत किया। प्रत्येक गांव के लोग भी इस यात्रा में जुड़ते जा रहे हैं। 

इंद्रावती नदी का कम होता जलस्तर भविष्य में पैदा कर सकता है जल संकट

यात्रा के पहले दिन ग्राम भेजापदर से उपनपाल तक कुल 5 किलोमीटर की यात्रा तय की गई। आज गुरुवार को यात्रा की शुरुआत यहीं से की जा रही है। पदयात्रियों ने कहा कि बस्तर की प्राणदायनी इंद्रावती नदी को बचाने के लिए लगातार 10 से 12 दिनों तक भेजापदर से चित्रकोट तक 70 कि.मी पैदल यात्रा की जाएगी। इस बीच लोगों का जन समर्थन भी यात्रा को प्राप्त हो रहा है। इस यात्रा में शामिल लोगों ने बताया कि इंद्रावती नदी का कम होता जलस्तर भविष्य में जल संकट में तब्दील हो सकता है। अगर अभी से इसे  बचाया नहीं जा सका तो आने वाले भविष्य में इंद्रावती नदी किताबों में देखने को मिलेगी और इसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

जगदलपुर में पेयजल का सबसे बड़ा स्रोत है इंद्रावती नदी

पैदल यात्रियों ने कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य दोनों राज्य सरकारों का ध्यान आकर्षित करना है ताकि खातीगुड़ा डेम से ओड़ीसा सरकार से अनुबंध के तहत 45% टीएमसी पानी बस्तर को दें, क्योंकि बस्तर में एकमात्र नदी इंद्रावती है जो बस्तर के लोगों को पानी उपलब्ध कराती है। जगदलपुर में पेयजल का सबसे बड़ा स्रोत इंद्रावती नदी ही है। दोनों सरकारों पर दबाव बनाने के साथ-साथ जोरा नाला में अधूरे पडे स्ट्रक्चर का निर्माण कराने हेतु बुधवार से शुरू हुई पदयात्रा में माता रुक्मणी सेवा संस्थान डिमरापाल के दो दर्जन से अधिक बच्चे, शहर के युवा, पुरुष और बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुई। प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग नदी के तट से यात्रा शुरू कर किनारे से होते हुए चित्रकोट जलप्रपात तक जाएंगे, जहां पद यात्रा का समापन होगा।