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आजादी के सात दशक बाद भी बलरामपुर में नाले का दूषित पानी पीने को मजबूर पिछड़े लोग

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Sep 4, 2019

सुदीप उपाध्याय : आजादी को सात दशक हो गए लेकिन आज भी दलितों को जातिगत भेदभावों का शिकार होना पड़ता है। खुद को उच्च जाति के बताने वाले लोग सार्वजनिक नल से पीने के पानी के लिए मना कर रहे हैं। मजबूरन इस मोहल्ले के लगभग 100 लोगों को नाले का दूषित पानी पीना पड़ता है।
मानवता को शर्मसार करने वाला यह पूरा मामला बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकास खण्ड के ग्राम पंचायत करमडीहा का है। यहां आर्थिक तंगी में जीवन यापन करने वाले इन गरीबों को सामाजिक भेदभाव के चलते नीच जाती से संबोधन कर पानी जैसी मूलभूत सूविधा से वंचित कर दिया जाता  है।

चुनावी लाभ लेने के उद्देश्य से पंचायत ने इनके लिये एक हैंड पम्प तो खुदवाया लेकीन वह भी बेकार दो चार बाल्टी से ज्यादा पानी हैंड पम्प से भी नहीं निकलता। जिले में डायरिया के प्रकोप को देखते हुये कलेक्टर ने जांच कर सख्त कार्यवाही की बात कर रहे हैं। बावजूद इसके सामाजिक तथा आर्थिक रूप से पिछड़े इन लोगों को नाले का दूषित जल पीने को मजबूर है। लेकिन यहां एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि शासन की योजनाओं का लाभ आखिर इन जरूरत मंदों को क्यों नही मिल पाता है।

क्या समाज में छुआछूत जैसी गंदी भावना रखने वालों के उपर कार्यवाही नही होनी चाहिए। बहरहाल अब देखने वाली बात यह होगी की डायरिया की चपेट में आने वाला जिले का अगला गांव कहीं यही तो नहीं या स्वयं को उच्च जाति बताने वालों के अत्याचार से इन्हें ऐसे ही ठोकरें खाने होंगें।