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पिछड़ी जनजाति पंडो समुदाय के लोग विलुप्ति की कगार पर, अपनी पहचान के लिए कर रहे जद्दोजहद

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Feb 12, 2019

शेख आलम - आज के वैज्ञानिक युग में लोग चाँद पर पहुँच गए है वहीं दूसरी ओर देश को डिजिटल इंडिया बनाने की कवायद जोरों पर है ऐसे में किसी समुदाय को महज अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी तो बड़ी ही विडम्बना की बात है हम बात कर रहे हैं धरमजयगढ़ विकासखंड क्षेत्र के धरमपुर ग्राम में बसे पंडो समुदाय की जो विलुप्ति की कगार पर खड़े है विशेष पिछङी जनजाति पंडो समुदाय जो अपनी पहचान के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर काट रहे है।

प्रशासन के नियम क़ानून के भंवर में फंसे पंडो समुदाय के लोग

पूरा मामला धरमजयगढ़ क्षेत्र के धरमपुर ग्राम का है जहां बसे विशेष पिछड़ी जनजाति के 15 पंडो परिवार पिछले करीब 3 साल से अपनी जाति का प्रमाण खोज रहे है जिसके लिए लगातर धरमजयगढ़ तहसील और जनपद पंचायत कार्यालय के चक्कर काट रहे है उनका कहना है जाति प्रमाण के बिना न ही शासकीय योजनाओ का लाभ मिल पा रहा है और न ही हमारे बच्चे आगे पड़ पा रहे हैं हमें हर तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है वन वासियों से  प्रशासन 1984 के बाद का दस्तावेज मांग रही है जो सहज नहीं है ऐसे में शासन प्रशासन के जटिल नियम क़ानून के भंवर में फंस कर ये पहले भी विकास के मामले में जीरो थे और आज भी जीरो पर ही खड़े है।

अपनी पहचान के लिए लोग काट रहे दफ्तरों के चक्कर

पंचायत सचिव से प्रस्ताव लाने की बात कही जाती है तो कभी और अन्य दस्तावेज की मांग की जा रही है और पंचायत सचिव धनेश्वर सिदार द्वारा प्रस्ताव बनाने में घुमाया जा रहा है कुल मिलाकर सचिव की उदासीनता के शिकार है ऐसे में यहां यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि सम्बंधित स्थानीय अधिकारी कर्मचारियों को भी शायद इनकी परेशानी से कोई वास्ता नहीं है।