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जगदलपुरः 6 महीने बाद भी नहीं सुधरी महारानी अस्पताल की हालत, भूपेश सरकार के दावे हुये नाकाम

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Jun 4, 2019

आशुतोष तिवारी- देश में सरकार बदली तो लोगों को लगा कि दिन बदलेंगे, खासकर स्वास्थ्य को लेकर। शायद यही उम्मीद बस्तरवासियों को भी थी  और यही वजह है कि जगदलपुरवासियों ने कांग्रेस पर भरोसा जता कर उनके उम्मीदवार रेखचन्द जैन को 27 हजार के प्रचंड बहुमत से जिताया। कांग्रेस ने कई ऐसे वादे कर दिए जो आम आदमी की प्रमुख समस्याओं में से एक थी मगर उसका निराकरण आज समयसीमा बीत जाने के बाद भी नहीं किया जा सका है। हम बात कर रहे हैं जगदलपुर स्थित महारानी अस्पताल की, जिसे तत्कालीन भाजपा सरकार ने डिमरापाल मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद लगभग बंद कर दिया था और भूपेश सरकार ने इसे छः महीने में ही दोबारा उसके पूर्ववत स्थिति में लाने की बात कही थी।

सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा 6 महीने के भीतर महारानी अस्पताल को पूर्व स्थिति में बेहतर सुविधाओं के साथ खोल दिया जायेगा

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी, उम्मीद से अधिक विधायक जीत कर आए। सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने पहले दौरे के लिए बस्तर को चुना और 1 जनवरी को उन्होंने मां दंतेश्वरी के प्रांगण के सामने से बस्तरवासियों को संबोधित किया। इस दौरान स्थानीय विधायक रेखचंद जैन ने उन्हें जगदलपुर की सबसे बड़ी समस्या के तौर पर महारानी अस्पताल के बंद होने की जानकारी दी। जिसे तत्काल संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री ने मंच से ही घोषणा की कि आज से ठीक 6 महीने के भीतर महारानी अस्पताल को उसके पूर्व स्थिति में कर दिया जाएगा और वहां पहले से भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाई जाएगीं।

6 महीने बाद ही अस्पताल की हालात ज्यों की त्यों बनी हुई है

जगदलपुर के डिमरापाल मे मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद महारानी अस्पताल को लगभग बंद कर दिया गया था, जिससे शहरवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था और उन्हें अपने इलाज के लिए शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर मेडिकल कॉलेज तक का सफर करना पड़ता था। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए नई सरकार ने यह फैसला लिया। जब मुख्यमंत्री ने महारानी अस्पताल को पूर्व की स्थिति में लाने की घोषणा की तो शहरवासियों ने राहत भरी सांस ली। वजह थी कि इस समस्या से शहर का हर एक व्यक्ति लगभग प्राय ही जूझ रहा था। समय बिता और लगभग 6 महीने होने को आए हैं पर आज तक महारानी अस्पताल की दशा और स्थिति को देखकर लगता नहीं है कि यह अस्पताल अभी साल भर के अंदर भी अपने पूर्व की स्थिति में आ पाएगा।

कांग्रेस के प्रदेश महासचिव ने स्थानीय प्रशासन पर सरकार को गुमराह करने का लगाया आरोप

पुरानी सरकार के वक्त महारानी अस्पताल के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले युवक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सुशील मौर्य से जब इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने पूरा आरोप स्थानीय प्रशासन व शीर्ष में बैठे अधिकारियों पर मढ़ते हुए कहा स्थानीय प्रशासन ने सरकार को गुमराह किया है और शीर्ष पर आरएसएस विचारधारा के लोग बैठे हैं। जिनकी सूची तैयार कर उनका स्थानांतरण किया जाना है। वहीं सुशील मौर्य ने भी अस्पताल की व्यवस्था को सुधारने में किए जा रहे प्रयास को गलत ठहराते हुए कहा कि महारानी अस्पताल का जो भवन है उसमें बेहतर सुविधाएं दी जा सकती थी, पर ऐसा न करके पहले भवन की स्थिति को सुधारा जा रहा है जबकि सबसे पहले वहां आवश्यक उपकरणों को व्यवस्थित तौर पर उपलब्ध करवाना जाना चाहिए था।