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कोरबाः निगम कचरा घर के कर्मचारियों को संक्रामक बीमारियों का खतरा

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Jul 10, 2019

मनोज यादव- कोरबा में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण कर शहर को स्वच्छ बनाने की दिशा में अहम कदम उठाने वाली महिलाओं को इन दिनों काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। निगम की उदासीनता से महिलाओं को संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। दस्तानें और मास्क के आभाव में उन्हें खतरनाक और बदबूदार अपशिष्ट को छांटना पड़ता है। बरसात के कारण समस्या और भी विकराल रुप धारण कर चुकी है। अधिकारियों ने सफाई कर्मियों की समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द करने का आश्वासन दिया है।

सफाई कर्मी दस्ताने और मास्क की कमी से हो रहे संक्रमित

स्वच्छता सर्वेक्षण की कसौटी पर कोरबा शहर को सौ प्रतिशत खरा उतारने के लिए सफाई मित्रों ने क्या कुछ नहीं किया। नगर निगम के सभी आदेशों का उन्होंने बड़ी ही तत्परता से पालन किया लेकिन उसके बदले सफाई कर्मियों को केवल उपेक्षा ही मिली। शहर को साफ-सुथरा रखने की जिम्मेदारी अपने कंधो पर लेकर चलने वाली महिला सफाई मित्र इन दिनों संक्रामक बीमारियों के खतरे से जूझ रही है। डोर टू डोर कचरा संग्रहण कर मणिकंचन केंद्र में छंटाई करने के दौरान उनके पास वे संसाधन नहीं है जिनकी उन्हें सख्त आवश्यकता है। महिला सफाई कर्मी दस्ताने और मास्क की कमी से पिछले लंबे समय से जूझ रही है। जरुरी सुरक्षा संसाधनों के अभाव में महिला कर्मियों को खुले हाथों से ही कचरे की छंटाई करनी पड़ती है। बिना मास्क के ही किए जा रहे छंटाई के कार्य से महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। महिलाओं का कहना है कि कचरा संग्रहण के दौरान लोग ऐसे-ऐसे अपशिष्ट डिब्बे में डाल देते हैं जिन्हें खुले हाथ और बिना मास्क के छांटना नामुमकिन है, बावजूद इसके वे खतरा मोल लेकर यह काम करती हैं।

सुपरवाईजर ने जल्द से जल्द सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराने का दिया आश्वासन

शहर में करीब एक दर्जन मणिकंचन केंद्र का संचालन किया जा रहा है, जहां महिलाएं पूरे शहर का कचरा इकट्ठा कर उसकी छंटाई करती हैं, जिनकी संख्या सैकड़ों में हैं। घंटाघर मणिकंचन केंद्र में महिला सफाईकर्मियों की संख्या 30 है। सुपरपाईजर और चौकीदार मिलाकर कुल 32 लोग कार्यरत हैं। सफाई कर्मियों की समस्या को लेकर जब हमने सुपरवाईजर से बात की, तब उन्होंने निगम अधिकारियों का हवाला देकर जल्द से जल्द सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराने की बात कही। दस्ताने और मास्क के अभाव में सफाई कर्मी हाथों में प्लास्टिक की थैलियां बांधकर कचरे की छंटाई कर रही है। सामान्य मौसम में सफाईकर्मियों ने समस्या को नजरअंदाज कर दिया लेकिन बरसात में कचरे के कारण संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है इस लिहाज से उनकी मांग जायज भी है। बहरहाल महिलाओं की सुरक्षा को लेकर निगम कब गंभीर होता है यह देखने वाली बात होगी।