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कोरबाः प्रतिबंध के बावजूद हो रहा है रेत का अवैध उत्खनन

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Jul 8, 2019

मनोज यादव- बरसात के मद्देनजर शासन द्वारा नदी नालों से रेत उत्खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है। मगर तस्करों को सरकारी निर्देश की कोई परवाह नहीं है। शहर में पुलिस और माइनिंग विभाग के अफसरों की शह पर रेत का काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। ये हम नहीं कहते, बल्कि रेत का अवैध करोबार करने वाले एक दलाल ने खुद इस बात का खुलासा किया है। जिसके द्वारा नदीयाखार गेरवाघाट से सरेआम रेत का उत्खनन कर बेचा जा रहा है।

जिले में नियम कायदों की सरेआम उड़ाई जा रही धज्जियां

जिले में नियम कायदों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सरकार और उच्चाधिकारियों को ठेंगा दिखाते हुए अवैध कारोबार संचालित किए जा रहे हैं। मगर इन पर रोक लगाने में संबंधित विभाग नाकाम है। हम बात कर रहे हैं गौड़ खनिज के काले कारोबार की। जिले में वैसे तो रेत उत्खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा हुआ है, मगर नियमों की परवाह किसे है। राजू अवैध कारोबारी है। ये नियमों को ताक पर रखकर रेत का धंधा करता है। इसे न तो सरकार के निर्देशों की परवाह है और न ही कलेक्टर की कार्रवाई का डर। डर हो भी कैसे, आखिर इसके उपर पुलिस और खनिज विभाग के कुछ कर्मचारियों का हाथ जो है। ये हम नहीं कहते ये खुद अपनी पहुंच बताता है।

शहर के कई रसूखदार लोग भी इस काले कारोबार में लिप्त

बरसात आते ही शासन के निर्देश पर खनिज विभाग द्वारा जिले के तमाम रेत घाटों को बंद कर दिया गया। रेत उत्खनन पर बैन लगा है। प्रशासनिक पाबंदी के बाद भी इसका कारोबार प्रभावित नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि इस घाट से रोजाना 50 टेक्टर से अधिक रेत का परिवहन होता है। तस्करों द्वारा बड़ी आसानी से रेत का परिवहन किया जाता है और मांग पर घर पहुंच सेवा भी दी जाती है। राजू इस कारोबार का संचालन कैसे करता है इसका खुलासा वो खुद सब के समक्ष करता है। ग्राहक बनकर रेत की मांग की तो राजू फौरन तैयार हो गया और एक दिन बाद घर पहुंच सेवा देने की बात कही। बताया जा रहा है सिर्फ राजू ही नहीं बल्कि शहर के कई रसूखदार लोग भी इस काले कारोबार में लिप्त हैं। जाहिर है निर्माण कार्य निरंतर जारी रहता है ऐसे में लोगों को रेत की जरूरत पड़ती है और रोजीरोटी का बहाना कर तस्कर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते है। इनके मुताबिक प्रति टेक्टर करीब 2000 रूपए में रेत का सौदा होता है।

आप खुद सोचिए रेत तस्कर लोगां की किस तरह जेब काटने में लगे हैं। हालाकि इसके जिम्मेदार खनिज विभाग के अधिकारी भी है जिन्होंने शासन के आदेश के विपरित इन्हें अवैध रेत उत्खनन करने की खुली छुट दे दी है। यानी चंद रूपए के लालच में शासकीय नुमाइंदे इन तस्करों के सामने नतमस्तक हो गए है। यानी सीधे तौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आंखो में धूल झोंककर तस्कर समेत संबंधित अधिकारी कर्मचारी अपनी जेब भरने में लगे है। देखना होगा कि अवैध रेत कारोबारियों और रिश्वतखोर अधिकारियों कर्मचारियों पर कानूनी शिकंजा कसता है या नहीं।