Feb 18, 2019
सुरेन्द्र जैन- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे धरसीवा विधानसभा के ओधोगिक क्षेत्र सिलतरा में एमपी ओर छत्तीसगढ़ के गरीब मजदूरों खासकर महिलाओं का शोषण बदस्तूर जारी है। खास बात तो यह है कि इस क्षेत्र की जनपद सदस्य डॉ सरोजनी वर्मा है। जनपद अध्यक्ष रुक्मणि वर्मा है। जिला पंचायत अध्यक्ष भी महिला है। यहां तक कि इसी धरसीवा क्षेत्र की निवासी राज्यसभा सदस्य श्रीमती छाया वर्मा भी नारी शक्ति है और हाल ही में भाजपा के गढ़ को ध्वस्त कर श्रीमती अनीता योगेंद्र शर्मा विधायक चुनी गई है। ज़मीन से आसमान तक नारी शक्ति का राज होने के बाबजूद इसके सिलतरा ओधोगिक क्षेत्र ही नहीं, अपितु उरला की फेक्ट्रियो में भी सर्वाधिक शोषण की शिकार नारी शक्ति ही है।
समय से अधिक काम और कम मजदूरी मिल रही महिलाओं को
बीते दस पन्द्रह सालों से तो हालात इतने बदतर रहे कि यदि कोई ग्रामीण महिला निर्धारित से कम पेमेंट की बात किसी को बता दे, तो उसका फेक्ट्रियों से मजदूरी से हटना तय रहता है। इसीलिए शोषण के खिलाफ महिलाओं ने बोलना ही बन्द कर दिया था। सत्ता परिवर्तन के बाद महिलाओं ने अपने शोषण के बारे में बताना तो शुरू कर दिया, लेकिन अब तक शोषण थमा नहीं है। अधिकांश ओधोगिक इकाइयों में महिलाओं को डेढ़ सौ से करीब दो सौ रुपये तक ही 8 घण्टे की मजदूरी मिलती है। वहीं नियम विरुद्ध 12 घण्टे काम कराने वाले 300 रुपये तक मजदूरी देते हैं। सबसे बड़ी एक ओर बिडम्बना यह है कि छत्तीसगढ़िया और मध्यप्रदेश की खासतौर से महिलाओं को ईएसआईसी का भी लाभ नहीं मिलता। पहली बार विधायक चुनी गई श्रीमती अनीता योगेंद्र शर्मा का जब इस ओर ध्यान दिलाया तो उन्होंने इस पर दुख जताते हुए समुचित कदम उठाने की बात कही है। लेकिन शोषण रुकेगा इसमें सन्देह है, क्योंकि ज्यादातर लेबर ठेकेदार छुटभैये नेता ही हैं। एक और बड़ी बिडम्बना यह है कि इन्ही ओधोगिक इकाइयों में बिहार, यूपी, उड़ीसा आदि प्रांतों के मजदूरों को 400 रुपये से लेकर 1 हजार रुपये से अधिक रोजगारी मिलती है। उन्हें ईएसआईसी भी मिलता है। उनके लेबर ठेकेदार भी उनके ही प्रांतों के है।