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ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों के हड़ताल पर जाने से उप स्वास्थ्य केंद्रों पर पड़ा ताला

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Aug 6, 2018

हकीम नासिर :  महासमुंद में ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों के हड़ताल पर जाने से ग्रामीण अंचलों में संचालित 222 उप स्वास्थ्य केंद्रों में ताला लटक रहा है इससे गर्भवतियों और शिशुओं का टीकाकरण नहीं हो पा रहा है तो वहीं चिकित्सीय सेवा भी बंद है, जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधा ठप हो गई है।

महासमुंद के ग्रामीण क्षेत्रों के 222 उप स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक अपनी मांगों को लेकर 1 अगस्त से अनिश्चितकालिन हड़ताल पर चले गये है जिससे ग्राम पंचायतों के उपस्वास्थ्य केंद्रों में ताला लटक गया है। जिलेभर के 415 ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी अस्पतालों में ताला लगाकर हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल से ग्राम पंचायतों में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ा गई है। 

हड़ताल से चिकित्सीय सेवा बंद 
ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं के नहीं मिलने से परेशान है गर्भवतियों और शिशुओं का टीकाकरण नहीं हो पा रहा तो वहीं चिकित्सीय सेवा भी बंद है। ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधा की आस से अस्पताल जाते हैं लेकिन अस्पतालों में ताला लटका देख वापस लौट जाते हैं और ज्यादा पैसे खर्च कर शहर आकर इलाज कराने को मजबूर है। बता दें सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मीजल्स-रुबेला टीकाकरण अभियान भी शुरू होगा। इसके तहत जिले के 3 लाख 13 हजार बच्चों को एमआर का टीका लगाया जाना है। यदि हड़ताल लंबी चली तो टीकाकारण का काम भी पूरी तरह से प्रभावित होगा। स्वास्थ्य संयोजकों के हड़ताल पर चले जाने ग्रामीण इलाको में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई है और ग्रामीण भटकने को मजबूर है। ग्रामीणों का कहना है कि उप स्वास्थ्य केन्द्र में ताला लटका हुआ है और इलाज के लिए शहर जाना पड रहा है।

कैडर 12 वर्षों से वेतन विसंगति की मार से जूझ रहा है
स्वास्थ्य संयोजकों की माने तो कैडर 12 वर्षों से वेतन विसंगति की मार से जूझ रहा है। शासन को कई बार अवगत कराने के बाद भी मांगों के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं हुई। संघ द्वारा वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर 2015 में 26 अक्टूबर से 5 नवंबर तक बेमुद्दत आंदोलन किया गया था। इसके बाद 17 जुलाई 2018 को प्रदेश स्तरीय सांकेतिक हड़ताल कर सरकार को मांगों पर विचार करने का समय दिया गया, लेकिन शासन ने कोई पहल नहीं की, इसलिए 1 अगस्त से अनिश्चितकालिन हड़ताल पर जाना पड़ा है। स्वास्थ्य संयोजक अपनी मांगों को जायज बता रहे हैं और कोई घटना होने पर इसके जिम्मेदार शासन प्रशासन को बता रहे हैं।

स्वास्थ्य संयोजक पर कार्रवाई की बात
इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी स्वास्थ्य संयोजकों के हड़ताल पर चले जाने से व्यवस्था चरमराने की बात कबूलते हुए हड़ताल को गलत बता रहे हैं और किसी भी प्रकार की घटना घटित होने पर वहां के स्वास्थ्य संयोजक पर कार्रवाई किये जाने की बात कह रहे है।

स्वास्थ्य विभाग का महत्वपूर्ण अभियान रूका
गौरतलब है कि स्वास्थ्य संयोजकों के हड़ताल पर जाने से जहां निचले स्तर पर स्वास्थ्य सेवायें पूरी तरह से चरमरा गई है वहीं स्वास्थ्य विभाग का महत्वपूर्ण अभियान खसरा और रूबेला का टीकाकरण अभियान भी रोक दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्र में मरीज सामान्य सर्दी खांसी, बुखार, मलेरिया, उल्टी-दस्त समेत अन्य बीमारियों के इलाज व दवा के लिए इन्हीं अस्पताल पर निर्भर रहते हैं, लेकिन हड़ताल के चलते लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाना पड़ रहा है।