Jun 6, 2019
अमर मंडल- किसानों के ऋण माफी की घोषणा, राज्य में हाल ही में सम्पन्न हुए हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जीत का ब्रम्हास्त्र साबित हुआ था। कांग्रेस ने चुनाव जीतने के लिए किसानों के ऋणमाफी की घोषणा की थी। जिस कारण पिछले 15 सालों से वनवास काट रहे कांग्रेस पार्टी को दोबारा सत्ता में बैठने का मौका मिला, लेकिन सत्ता में आने के बाद ऐसा लग रहा मानो किसानों के ऋणमाफी की घोषणा को कांग्रेस पार्टी अब भूल चुकी है। जिसका प्रमाण है कि क्षेत्र के किसानों के ऋण माफ अभी तक नहीं हुआ। पखांजुर क्षेत्र ही नहीं बल्कि समूचे छत्तीसगढ़ के किसान ऋण माफी की आस लगाए बैठे हैं।
बरसात में खेती किसानी के लिए बीज व खाद खरीदने के लिए किसानों के पास पैसे नहीं
गौरतलब है कि राज्य के क्षेत्रीय बैंकों की किसानों के ऋण माफी करने के बाद राष्ट्रीयकृत बैंकों के भी ऋणमाफी का दावा छत्तीसगढ़ सरकार ने किया था, परंतु अब तक किसानों के ऋणमाफी नहीं हो सकी है। जिससे किसानों के लिए एक बड़ी परेशानी बनी हुई है। ऋण माफी नहीं होने से किसानों को फिर से खेती-किसानी के लिये ऋण लेने में मुश्किल हो रही है। आज की स्थिति में किसानों के पास पैसे नहीं है। बरसात में खेती किसानी के लिए अब से बीज व खाद खरीदना होता है जो प्रतिवर्ष किसान बैंकों से इस समय ऋण ले कर बीज व खाद खरीदता था, मगर इस वर्ष ऐसा नहीं हो पा रहा है। जिसका सबसे बड़ा कारण मौजूदा सरकार द्वारा राज्य के किसानों के साथ छल करना है। ऋण माफी की वादा करके किसानों से ऋण जमा न लेना है।
किसानों के सामने आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने के अलावा कोई रास्ता नहीं
किसान प्रति वर्ष धान फसल विक्रय राशि से बैंकों से लिया हुआ कृषि ऋण चुकाने के काम करता था, मगर इस वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार के आश्वासन से बैंकों ने किसानों से ऋण वसूली नहीं की, जिस कारण किसानों ने फसल विक्रय राशि अन्य कार्य में खर्च कर दिया। आज के समय किसानों के पास ऋण चुकाने हेतु पैसे नहीं हैं और बैंक पुराण ऋण बिना चुकाए नया ऋण देने हेतु असमर्थ है। ऐसे में किसान अनचाहा ऋण में फंस गया है। जिससे किसानों के पास बरसात में फसल उगाने के लिए कोई रास्ता बचा ही नहीं है। अब किसानों के सामने आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है या सरकार ही वादा के मुताविक किसानों की ऋण माफी कर किसानों को राहत दे। क्षेत्र में हर साल लगभग 40 हज़ार से अधिक किसान बीज-खाद की खरीदी केसीसी ऋण लेकर करते हैं। मगर इस बार अभी की आखड़ा 10 प्रतिशत तक ही पहुंची है। अधिकतर किसान अब भी ऋणमाफी की आस लगाए बैठे हैं।