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कर्ज के बोझ तले दबकर किसान ने की आत्महत्या

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Jun 7, 2018

पेंड्रा थाना के कुदरी में एक किसान ने आज कर्ज से परेशान होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, परिजनों का आरोप है कि किसान पिछले 3 साल से कर्ज से पीड़ित था और सूखे की वजह से वह कर्जा चुका नही पा रहा था, किसान सुरेश सिंह मरावी गौरेला थाना क्षेत्र के पिपरिया का रहने वाला है उसने अपने ससुराल कुदरी में आकर आत्महत्या कर ली है। फिलहाल पुलिस ने मर्ग कायम कर जाँच शुरू कर दी है।

धान के कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में किसान इन दिनों कर्ज के बोझ से दबा हुआ है लगातार हो रही किसानों की आत्महत्या के बावजूद सरकार किसानों की कर्जमाफी करना तो दूर सहकारी बैंक किसानों को लगातार कर्ज पटाने के लिए नोटिस पर नोटिस थमाए जा रहा है सरकार जहां एक और विकास यात्रा निकाल कर विश्वसनीय छत्तीसगढ़ खुशहाल छत्तीसगढ़ का दावा कर रही है वहीं किसान आत्महत्या कर अपनी जान दे रहा है, किसान की आत्महत्या का एक और मामला पेंड्रा विकासखंड के कुदरी गांव में आज देखने को मिला जहां मरवाही के पिपरिया गांव में रहने वाला सुरेश सिंह मरावी ने अपने ससुराल में आकर आत्महत्या कर ली, चार बेटियों का पिता यह किसान 12 एकड़ खेती खेतिहर जमीन का मालिक है परंतु पिछले 4 वर्षों से लगातार अल्प वर्षा के कारण सूखे की मार झेल रहा है या किसान सेवा सहकारी समिति लरकेनी समिति से 120000 रुपए कर्ज लिया था परंतु पिछले 4 सालों में यह कर्जा बढ़कर लगभग 170000 हो गया था और इस बार के अवर्षा के कारण यह किसान अपने खेत में एक दाना भी फसल उत्पादित नहीं कर पाया जिसके कारण सेवा सहकारी समिति लरकेनी ने कर्ज पटाने के लिए किसान सुरेश सिंह पर लगातार नोटिस पर नोटिस दिए जारी रखा।

नियत में कहीं कमी नहीं थी कमी थी तो सिर्फ पैसे की और लगातार नोटिस से गांव वालों के बीच खुद को हंसी का प्राप्त पात्र महसूस करता था साथ ही परिवार पालने के लिए स्थानीय स्तर पर कुछ छोटे-मोटे कर्ज हो गए थे और इस बार के फसल नुकसान का सूखा राहत राशि का 13000 का मुआवजा शासन ने चेक के माध्यम से सुरेश को दिया था जिसे भुनाने की नियत से उसे बैंक में जमा कर राशि आने के इन्तजार करने लगा, इसी राशि से स्थानीय कर्ज पटाना चाहता था परंतु बैंक की लेटलतीफी के कारण 13000 का मुआवजा राशि 15 दिन बीत जाने के बाद भी कलेक्शन होकर  उसके खाते में नहीं आ सकी जिसके कारण कर्ज का बोझ इसे सताने लगा और तंग आकर अपने परिवार के साथ ससुराल कुदरी आ गया जहां उसने आज शाम बच्चों को कमरे में सुलाने के बाद स्वयं दूसरे सूने कमरे में आत्महत्या कर के अपनी जान दे दी,  परिवार वालों का रो रो कर बुरा हाल है, परिजनों का आरोप है कि सुरेश लगातार कर्ज के बोझ से परेशान था और वही उसके मौत का कारण है

किसान सुरेश सिंह 3 माह पहले भी एक बार अपने घर पिपरिया में आत्महत्या की कोशिश की थी इस मामले में गौरेला पुलिस अभी जांच कर ही रही थी , की ससुराल में आकर सुरेश ने अंततः अपनी जान दे दी पुलिस मौके पर पहुंचकर पूरे मामले की जांच कर रही है साथ ही मामले में मर्ग कायम कर लिया है।

सरकार जहां फसल बीमा के नाम पर निजी कंपनियों को करोड़ों रुपए प्रीमियम के रूप पर रूप में दे चुकी है वही उसके मुआवजे के लिए लंबी लंबी प्रक्रिया से उसे उसे गुजारना पड़ता है और जब मुआवजा राशि बन कर आती है वह दहाई के आंकड़ों को भी पार नहीं कर पा रही है ऐसे में लाखों रुपए के कर्ज में डूबा किसान इस तरीके से आत्महत्या कर लेता है यह सरकार और प्रशासन के लिए शर्म की बात है जिस देश और प्रदेश की कल्पना किसानों के बूते की जाती हो वहां का किसान अगर आत्महत्या कर लेता है ऐसे में खुशहाल छत्तीसगढ़ और विश्वसनीय छत्तीसगढ़ का स्लोगन  बेमानी सा प्रतीत होता है।