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पानी की वर्षो पुरानी मांग को लेकर किसानों का धरना प्रदर्शन

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Feb 10, 2019

अखिल मानिकपुरी - सड़क पर रैली निकालकर नारेबाजी करते ये वो किसान जो तीस सालों से अपनी मांगों को लेकर सड़क की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर है बलौदाबाजार जिले के रावन में स्थापित अल्ट्राटेक सीमेंट प्रबंधन ने किसानों के साथ छलावा कर जो वादाखिलाफी का खंजर घोंपा है इससे आज किसानों की कमर ही टूट गयी है बलौदाबाजार जिले के रावन में सीमेंट संयंत्र ने पहले तो किसानों से खेती की जमीन लेकर सीमेंट कारखाना खोल दिया और अब फिजा में घुलती जहर और बंजर होती जमीन से क्षेत्र का जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है।

सीमेंट फैक्ट्री की नहीं हुई स्थापना

आज से 30 साल पहले बलौदाबाजार जिले के रावन में खपराडीह नहर लाइनिंग का काम शुरू हुआ था जिससे आठ गांवों के 4000 एकड़ खेतों को सिंचाई का लाभ किसानों को मिलता लेकिन ये नहर लाइनिंग अल्ट्राटेक सीमेंट संयंत्र के माइंस एरिया से होकर गुजर रहा था और उस समय सीमेंट फैक्ट्री की स्थापना नहीं हुई थी मसलन सीमेंट संयंत्र और शासन के बीच 1993 में ये लिखित में समझौता हुआ कि जो नहर लाइनिंग सीमेंट संयंत्र के माइंस एरिया से होकर गुजरेगी उसका निर्माण कार्य सीमेंट प्रबंधन करेगा और इसके लिए जो भी अतिरिक्त खर्चा आएगा उसको वहन करने की जिम्मेदारी सीमेंट प्रबंधन की होगी।

तीस सालों से पानी को लेकर संघर्ष जारी

बलौदाबाजार जिले के रावन में किसानों और अल्ट्राटेक सीमेंट संयत्र के बीच तीस सालों से पानी को लेकर संघर्ष जारी है बलौदाबाजार में बारिश कम होने किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की होती है सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं होने से किसानों के सामने सूखे की स्थिति निर्मित हो जाती है जिससे किसानों को उपज नहीं मिल पाती लागातर सूखे की मार झेल रहे किसान अब सीमेंट प्रबंधन के खिलाफ आर पार की लड़ाई के मूड में है और अगर इनकी मांगो को नजर अंदाज किया जाता है तो किसान भूख हड़ताल में बैठने को मजबूर हो जाएंगे।

मांगो को लेकर किया जाता है नजर अंदाज

छत्तीसगढ़ खेती किसानी पर आधारित राज्य है और छत्तीसगढ़ में आय का मुख्य स्रोत खेती है ऐसे में सीमेंट संयंत्र की वजह से किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है जिससे आज ये वर्ग परेशान है पूरे देश में सबसे ज्यादा आबादी अन्नदाताओं की है और चुनाव के समय इस वर्ग को मोहरे के रूप में लोक लुभावने वादे कर इस्तेमाल तो खूब किया जाता है लेकिन जब किसानों के साथ खड़े होने की बारी आती है तो सभी मुंह फेर लेते है।

नहीं है कोई किसानों की सुध लेने वाला

बलौदाबाजार में इन किसानों का सुध लेने वाला कोई नहीं और ये किसान जवाब मांग रहे हैं कि आखिरकार कब इनकी मांगो को पूरा किया जाएगा,हालांकि मौके पर किसानों से ज्ञापन लेंने पहुंचे तहसीलदार ने किसानों को जरूर ये आश्वासन दिया कि जल्दी ही बिंदुवार इनकी मांगो पूरा करने के ये शासन प्रशासन से अवगत कराया जाएगा, लेकिन किसानों और सीमेंट प्रबंधन की इस लड़ाई में किसानों को इंसाफ कब तक मिल पाता है ये देखना अब दिलचस्प होगा।