Feb 10, 2019
विनोद आर्या - हम आपको पूरा मामला समझाए इसके पहले यह विडियो देखे जहां किस कदर एक डाक्टर अपने कर्तव्यो की अनदेखी कर अस्पताल प्रबंधन ओर अपनी खामियां को छूपाने मरीज के परिजन से ही उल्टे उसकी बेटी की जिंदगी बचाने के लिए अस्पताल मे व्यवस्था जुटाने बाहर से एक करोड़ रुपयों के उपकरण लाने की बात कह रही है शुक्रवार को कर्रापुर के देवेन्द अहिरवार की ढेड बर्ष की मासूम बेटी अंशिका खेलते खेलते गर्म पानी की चपेट मे आ गई थी जहां वह बुरी तरह झुलस गई थी जिसे परिजनो ने बुंदेलखंड मेडीकल कालेज सागर मे इलाज हेतु भर्ती किया।
डॉक्टरों ने तुरंत नहीं किया इलाज
परिजनो ने इस मामले मे डाक्टरो पर गंभीर आरोप लगाए है उनका कहना है की बच्ची की स्थिति को देखते हुए अस्पताल मे मौजूद डाक्टरो ने उसे निजी अस्पताल मे ले जाने का जोर दिया पर परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही होने पर हम लोगों ने उसका वही ईलाज करने को कहां जहाँ डाक्टरो ने भर्ती तो कर लिया पर उसका ईलाज शुरू नही किया जहां वह ऐसी स्थिति मे कई धंटो तडपती रही ओर उसकी हालात ज्यादा बिगड गई।
इलाज न मिलने से बच्ची ने दम तोड़ा
जब हम लोगों ने उसकी हालात को देखते हुए डाक्टर से उचित ईलाज देने की बात कही तो वह हम लोगो पर ही नाराज होने लगे ओर अस्पताल मे एक करोड़ रुपए का वेन्टिलेटर ओर प्लास्टिक सर्जन नही होने की बात कह दोनों को बाहर से लाने का कहने लगी तथा ईलाज करने से आनाकानी करते दिखाई दिए परिजनो की माने तो इस बीच बच्ची की तबियत ओर खराब हो गई ओर उसने दमतोड दिया।
शासन प्रशासन से लगाई गुहार
म्रतिका के चाचा के अनुसार उसने इस मामले मे प्रशासन से लेकर शासन तक गुहार लगाई पर कोई संतोषजनक जबाब नही मिला जिसके चलते एक मासूम जान सिस्टम की भेटचढ ग ई पीड़ित परिवार ने इस मामले मे हुई लापरवाही की लिखित मे गोपालगंज थाने मे शिकायत भी दर्ज कराई है ओर उनके खिलाफ कारवाई की मांग की है वही जब इस पूरे मामले मे मेडीकल प्रंबधन का पक्ष जाने की कोशिश की तो जिम्मेदार लोगो ने छुट्टी के चलते बाहर होने की बात कह कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है।