Loading...
अभी-अभी:

गरियाबंद: राज्य स्तर पर फसल बीमा को लेकर हुई कई बैठके, नतीजा शून्य

image

May 5, 2018

गरियाबंद में किसानो के लिए फसल बीमा करना टेढी खीर साबित हो रहा है, किसान बैंको के चक्कर काट रहे है और अधिकारी नियम कानूनों का हवाला देकर किसानों को एक विभाग से दुसरे विभाग के दफ्तर भेजकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे है। फसल से किसानों को किसी भी स्थिति में नुकसान ना हो इसको लेकर केन्द्र और राज्य सरकार ने फसल बीमा योजना शुरु की है, योजना भी ऐसी की कोई भी किसान मामूली सा प्रीमियम जमा करके अपनी फसल को सुरक्षित कर सकता है, मगर गरियाबंद जिले के किसानों को इस योजना का सही लाभ नही मिल पा रहा है, अधिकारिक आंकडों की बात करे तो गरियाबंद जिले में 62600 किसान है, और जिला प्रशासन को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 30 जुलाई तक जिले के सभी किसानों का फसल बीमा करने के निर्देश राज्य सरकार ने जारी किये है, बाबजूद इसके जिला प्रशासन अभी तक महज एक तिहाई किसानों की फसल का ही बीमा करने में कामयाब हो पाया है, जबकि अंतिम तारिख में केवल एक सप्ताह का समय ही शेष बचा है।

गरियाबंद में नहीं दिख रहा असर
बता दें फसल बीमा कराने में किसानों को कोई दिक्कत ना हो इसको लेकर राज्य स्तर पर अब तक कई बैठकें हो चुकी है, कृषि मंत्री से लेकर कृषि विभाग के सचिव स्तरीय अधिकारी जिला अधिकारियों को गाइड लाईन समझा चुके है, इसका भी असर गरियाबंद में देखने को नहीमिल रहा है, राजस्व विभाग के अधिकारी कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों के दस्तावेज सत्यापन की बात कह रहे हैं और कृषि विभाग के अधिकारी उच्च स्तर पर ऐसा कोई आदेश जारी नही होने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड रहे है, और बैंक अधिकारी दोनोंविभागों से दस्तावेज सत्यापन के बाद ही फसल बीमा का प्रावधन बता रहे है।

10 मिनट के काम के लिए किसान हफ्तों तक काट रहे चक्कर
महज 10 मिनट के काम के लिए किसानों को हफ्तों चक्कर काटने पड रहे है, किसान दस्तावेज सत्यापन के लिए कभी कभी एक विभाग तो दूसरे विभाग के अधिकारियों की खुसामदें करने पर
मजबूर हो रहा है, रोज बैंको और अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटने का असर किसानों की फसल पर भी पड रहा है, किसान अपनी फसल का काम नही कर पा रहा है, रोज रोज के दफ्तरों के चक्करों से उनकी फसल का काम भी प्रभावित हो रहा है। 

सामने आई हकीकत
आंकडे सामने आ चुके है और आंकडो को शत प्रतिशत में बदलने का समय भी करीब आ गया है, दो महीने में जिला प्रशासन एक तिहाई आंकडा छू पाया और महज एक सप्ताह में शत प्रतिशत करने का दावा ठोक रहा है, ऐसे में ये आंकडे शत प्रतिशत में बदल जायें तो किसी करिश्मे से कम नही होगा।