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कोटाः जनपद के सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों की शासकीय बैठक बनाम शराब पार्टी

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Jul 19, 2019

डब्बू ठाकुर- कोटा के लोकप्रिय पर्यटक स्थल शासकीय भवन को कोटा जनपद के सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों ने बनाया शराब मुर्गा पार्टी का अड्डा। वहीं साथ ही यहां के जनपद जनप्रतिनिधि भी बट्टा लगाने में तुले हुए है। बुधवार को जनपद पंचायत कोटा की संचार संकर्म सभा की बैठक जनपद के अधिकारियों ने कृषक कुटीर में आयोजित की। बैठक तो एक से डेढ घंटे चली लेकिन उसके बाद कुछ जनपद सदस्यों और जनपद के शासकीय कर्मचारियों ने छककर शराब पी और मूर्गा उड़ाया।

जानकारी के अनुसार बुधवार को जनपद पंचायत की संचार संकर्म समिति की बैठक अपने मीटिंग हाल की जगह कोटा के कोरीडैम में बना पर्यटक स्थल कृषक कुटीर में आयोजित की। ये बैठक जनपद के सभागार के बदले कृषक कुटीर मे क्यों आयोजित की गई इसका जवाब किसी के पास नहीं है। बैठक जनपद की संचार संकर्म समिति की थी लिहाजा समिति के सदस्य और विभागीय अधिकारी वहां पहुंचने लगे। बैठक बारह से एक बजे के बीच शुरू हुई और घंटे डेढ घंटे में खत्म भी हो गई क्योंकि बैठक मे आए सभी लोगों का ध्यान खाने पीने की तरफ था। औने पौने में बैठक समाप्त करने के बाद पर्यटक स्थल के शासकीय रेस्ट हाउस में कुछ नेता, अधिकारी और कर्मचारियों ने जाम से जाम भी छलककाया।

जनपद सदस्यों के साथ जनपद के अधिकारी और कर्मचारी मदमस्त

कृषक कुटीर मे बैठक और शराब पार्टी की खबर कृषक कुटीर से निकलकर कोटा के मीडिया तक पहुंच गई। बैठक की जानकारी लेने जब कोटा के मीडियाकर्मी वहां पहुंचे तो वहां का नजारा देख कर चैंक गए। जनप्रतिनिधियों द्वारा शराब की बोतल कैमरे के सामने लहराते हुए दिखे। यहां बैठक के बाद की शराब पार्टी अपने पूरे उफान पर थी। जनपद सदस्यों के साथ जनपद के अधिकारी और कर्मचारी मदमस्त थे। शराब की बाटल और मुर्गे की टांग चबाते हुए घंमड में चूर इन लोगों ने मीडिया से भी अभद्र व्यवहार की और खबर छापने की धमकी भी दे डाली। जनपद की इस शासकीय बैठक के बाद कई सवाल ऐसे उठने लगे जिसके  जवाब अधिकारियों को देने होंगे।

कृषक कुटीर में बैठक क्यों

जनपद पंचायत की संचार संकर्म की बैठक जनपद पंचायत के मीटिंग हाल की बजाय पर्यटक स्थल कृषक कुटीर में क्यों आयोजित की गई? वहां बैठक करने के ईजाजत किसने दी? जनपद पंचायत से चार किलोमीटर दूर कृषक कुटीर में जनपद के बाबू और अधिकारी जनपद के सरकारी दस्तावेज लेकर किसके आदेश से वहां पहुंचे? क्या इस बैठक की जानकारी जनपद सीईओ को थी? यदि थी तो क्या उन्होंने जनपद के बैठक कक्ष की बजाय कृषक कुटीर में समिति की बैठक आयोजित करने की सहमती प्रदान की थी ? और यदि जनपद सीईओ को जानकारी नहीं थी तो फिर बिना उनके कृषक कुटीर में कैसे बैठक आयोजित कर दी गई थी? ये ऐसे सवाल है जो अधिकारियों की लापरवाही और उनके गैरजिम्मेदाराना रवैये होने की ओर इशारा करते हैं। जनपद के कर्मचारी का कहना कि कोई बैठक नहीं थी - मीडिया के अचानक पहुंच जाने से हड़बडाए जनपद के अधिकारी कर्मचारीयों की बोलती बंद हो गई थी। मीडिया का कैमरा देख कर कई अधिकारी अंग्रेजी का गिलास निचे रख बाथरूम की तरफ भागे तो कई ने कहा कि कोई मीटिंग नहीं थी। किसने बोल दिया की मीटिंग थी।

एसडीओपी अनुविभागीय अधिकारी को दी गई लिखित शिकायत  

जनपद के बाबू संतोष चंद्राकर ने कैमरे पर आन रिकार्ड बोला कि किसी भी प्रकार की बैठक यहां आयोजित नहीं थी। ये बोलते हुए शायद वो ये भूल गए कि उनका ये झूठ उनपर और भी भारी पड़ सकता है क्योंकि सिंचाई विभाग के एसडीओ और अन्य विभाग के आए अधिकारियों ने साफ-साफ कहा कि यहां बैठक रखी गई थी। फिर भी यदि जनपद के बाबू संतोष चंद्राकर की ही बात मान ली जाए कि वहां कोई मीटिंग नहीं थी तो फिर सवाल यही उठता है कि पूरा का पूरा जनपद पंचायत बारह बजे से छह बजे तक कृषक कुटीर में क्या कर रहे थे ? अपने कार्यालयीन समय में जनपद के एसडीओ कैवर्त ,इंजिनियर अमिताभ कश्यप, लोरमी एसडीओ बी.पी गुप्ता, बड़े बाबू संतोष चंद्राकर, यहां से स्थानान्तरण हुए इंजिनियर किरण धु्रव अपने कार्यालयीन समय में कृषक कुटीर में शराब पार्टी में कैसे मौजूद रहे, वहीँ इसकी लिखित शिकायत कोटा के एसडीओपी अभिषेक सिंह, अनुविभागीय अधिकारी आशुतोष चतुर्वेदी को कोटा मिडिया कर्मियों के द्वारा दी गई है, जिसमें जाँच के बाद कार्यवाही करने की बात कही गई है।