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कोटाः जर्जर अवस्था में शासकीय प्राथमिक शाला फिर भी लग रही कक्षाएं

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Jul 12, 2019

डब्बू ठाकुर- सरकार शिक्षा के लिए करोड़ों खर्च कर रही है, जिसके तहत नए स्कूल भवन, पर्याप्त शिक्षकों की व्यवस्था आदि पर हमेशा राजनेताओं व जनप्रतिनिधियों को भाषण देते देखा और सुना जाता है। सरकार द्वारा शिक्षा पर करोड़ों खर्च किए जाने के बाद भी आज की स्थिति में यह व्यवस्था कागजों पर ही देखने को मिल रही है। यह मामला किसी दूरस्थ अंचल का नहीं है, बल्कि यह मामला बिलासपुर जिला मुख्यालय के कोटा विकास खण्ड से महज 15 किमी की दूरी पर बसे ग्राम पंचायत भैसाझार के आश्रित ग्राम बछालीखुर्द, में शिक्षा विभाग द्वारा संचालित शासकीय प्राथमिक शाला का है। जहां पर स्कूल भवन अत्यंत जर्जर होने के बावजूद भी यहां पर कक्षाएं लग रही हैं।

दुर्घटना की आशंका को देखते हुए कई बार शिक्षकों ने अधिकारियों से की है शिकायत

इस बारे में मीडिया ने पड़ताल किया तो पता चला कि यह स्कूल भवन काफी जर्जर हो चुका है, जहां पर बच्चों के पढ़ाई के समय ही अंदर वाले छत से समय-समय पर वहां के प्लास्टर भरभरा कर गिर रहें हैं। इसके बाद भी यहां पर कक्षाएं लग रही हैं। कक्षा पहली से 5वीं तक कुल 70 छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं। हमेशा नौनिहालों की जान पर खतरा मंडरा रहा है। यहां पर पदस्थ शिक्षक भी इन खतरों से भयभीत नजर आ रहे हैं। इस मामले पर यहां के प्रधान अध्यापक द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी को मौखिक व लिखित जानकारी भी दे दी गई है, पर आज पर्यंत तक इस मामले पर किसी तरह से कोई पहल नहीं की गई है। यह भवन उपयोग के लायक नहीं है। जिसकी जानकारी शिक्षा विभाग को दे दी गई है, फिर भी जिम्मेदार अधिकारियों के अडियल रवैये के चलते इस स्कूल भवन में कक्षाएं लग रही हैं।

गिरते दीवारों और छतों से अभिभावकों को अपने बच्चों की रहती है चिंता

स्कूल पहुंचे अभिभावकों से बातचीत करने पर बताया गया कि उनके द्वारा कई बार स्कूल पहुंचकर इस बारे में कहा गया कि भवन काफी जर्जर हो चुका है। यहां पर कक्षाएं नहीं लगाई जानी चाहिए। उनके द्वारा भी कई बार देखा गया है कि छत की प्लास्टर कभी भी गिरते रहता है, जिससे उन्हें अपने बच्चों की चिन्ता सताने लगी है। इस जर्जर स्कूल के दीवारों और छतों का कोई भरोसा नहीं है। फिर भी बच्चे दरकी दीवारों और छतों वाले बदहाल स्कूलों में जान जोखिम में डालकर शिक्षा ग्रहण करने को बच्चे मजबूर हैं।