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तमनारः कुंजेमुरा के ग्रामीणजनों व मवेशियों का फ्लाई एस से जीना हुआ मुश्किल

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May 25, 2019

दुलेन्द्र कुमार पटेल- केलो कोयलांचल आदिवासी बाहुल्य तहसील तमनार में स्थित जिंदल पावर प्लांट में विधुत उत्पाद की जाती है, जिसमें विधुत उत्पाद के बाद कोयले से निकलने वाली राख को कुछ दूरी पर बनाए गए स्टाक डेम इस राख (फ्लाई एस) को रखा जाता है। पहले तो डेम की ऊँचाई कम होने के कारण यह राख नहीं उड़ती थी, लेकिन आज इस एक डेम के ऊपर और तीन डेम के निर्माण कराया जा चुका है, जिसमें राख पूरी तरह से भर चुकी है जो कि हवा के तेज बहाव के साथ गाँव में घुस आती है। जिससे ज्यादा तर प्रभावित कुंजेमुरा के ग्रामीण होते हैं। कुंजेमुरा के साथ-साथ पाता व रेगांव गांव के ग्रामीणों को भी राख की समस्या से जूझना पडता है। जिससे गाँव के हर चीजों में सफेद रंग की एक अलग सी परत चढ़ चुकी है और चढ़ती जा रही है।

पानी हुआ प्रदूषित, त्वाचारोग व अन्य परेशानियों से जूझ रहे ग्रामीण

1500 आबादी वाली इस गाँव में वो दिन दूर नहीं, जिस दिन गाँव में प्रत्येक व्यक्ति आंखों की बीमारी व चर्मरोग से जुझता दिखाई देगा। इस फ्लाई एस राख से तो गाँव की हर चीज सफेद हो ही चुकी है। चाहे वो कपड़े हों, या खाने में उपयोग की जाने वाली सामग्री। चाहे पानी हो या तालाब, नाला, कुआं हर चीज राख से प्रदूषित हो चुकी है। फ्लाई एस डेम के कुछ दूर पर ही कुंजेमुरा की ओर निषाद मोहल्ले की एक तालाब है जिसका गांव की आधी से अधिक आबादी नहाने के लिए उपयोग करती है, लेकिन आज पानी प्रदूषित हो जाने के कारण लोग नहाने से कतरा रहे हैं। साथ ही नाला में बांधकर पानी रखा गया है। वहां भी राख की एक अलग सी परत जम गई है। जिससे लोगों को खुजली की शिकायत हो रही है। आज ग्रामीणों को नहाने में काफी परेशानी आ रही है। साथ ही फसलों का भी भारी नुकसान हो रहा है, जिससे सब्जी की फसलों पर अच्छा खासा नुकसान देखने को मिल रहा है। आज तक इस प्रकार की परेशानी से जुझ रहे ग्रामीणों से मिलने न ही प्रशासन से कोई देखने आ रहा है, न ही जिंदल से। न ही जिंदल की ओर से ग्रामीणों को किसी प्रकार की सुविधा प्रदान की जा रही है।

गांव में शमशान भूमि भी नहीं रही

तमनार के ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बिहारी लाल पटेल का कहना है कि जिंदल के फ्लाई एस डैम बनने से गांव की शमशान भूमि डेम में चली गई। आज गांव में शमशान भूमि भी नहीं है। गांव में ईसाई धर्म व पनिका जाती के लोग भी रहते हैं जो कि शव को दफनाते हैं लेकिन आज जगह नहीं होने के कारण शव को घर के बाड़ी व खेत में दफना रहे हैं। गांव के अधिकांश ग्रामीण रात में आंगन में खाट लगाकर सोते हैं, लेकिन फ्लाईएस रात में भी उड़ने के कारण अब डर से आंगन में नहीं सो पाते। गर्मी में घुट-घुट के घर के अंदर सोना पड़ता है। यदि आंगन में रात को सोते हैं तो शरीर में अलग से एक परत जम जाती है।