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बस्तर की शान कहे जाने वाले ऐतिहासिक दलपत सागर की सुन्दरता खत्म होने की कगार पर

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Dec 9, 2018

आशुतोष तिवारी - छत्‍तीसगढ़ में  बस्तर की शान कहे जाने वाले दलपत सागर में एक बार फिर जलकुंभी ने अपना डेरा बनाना शुरू कर दिया है जलकुंभी के चलते ऐतिहासिक दलपत सागर की सुन्दरता खत्म होने के साथ ही इसके अस्तिस्त्व पर संकट मंडरा रहा है दलपत सागर में पसरी जलकुंभी को खत्म करने के लिए नगर निगम ने तरह-तरह के प्रयोग कर लाखों रुपए खर्च कर दिये है बावजुद इसके दलपत सागर की स्थिति जस के तस बनी हुई लाखो रू. खर्च कर चुके निगम के जिम्मेदार अधिकारी दलपत सागर की इस बदतर  हालत पर मछुआ समिति पर दोष मढ रहे है।  

दलपत सागर से जलकुंभी हटाने कभी ब्राजील से जलकुंभी खाने वाले मछली को इसमें छोड़ा गया तो कभी मछली के सरंक्षण की योजना पर लाखों रुपए फूंके गए, लेकिन परिणाम सिफर ही रहे दो साल पहले जिला प्रशासन की पहल पर नगर सेना, मछुआरे, निगमकर्मी, कुम्हरावंड के कृषि वैज्ञानिक आदि की एक लंबी फौज ने दलपत सागर को बचाने के लिए महीनों मशक्कत की थी इस काम पर करीब 50 लाख रुपए खर्च हुए थे पूरे तालाब में भरी पड़ी जलकुंभी के साफ होने के बाद ये उम्मीद जागी थी कि इस ऐतिहासिक दलपत सागर को बचाने की मुहिम कामयाब हो रही है, लेकिन बाद में निगम प्रशासन का ध्यान इस ओर से हट गया और कुछ ही महीनों में दलपत सागर अपने फिर पुराने स्वरूप में आ गया।

कुछ महीने पूर्व दलपत सागर को मछुआ समिति को ठेका मे दे दिया गया औऱ उसकी सफाई की जिम्मेदारी भी मछुवारो को सौंप दी गयी लेकिन एतिहासिक धरोहर की स्थिति अब ज्यादा बदतर होते देख निगम प्रशासन ने जल्द ही इसकी दशा सुधारने एक बार फिर जनसहयोग से सफाई अभियान चलाने की बात निगम आयुक्त ने कही है। इधर दलपत सागर के अस्तित्व को बचाने शहर के वरिष्ठजनो द्वारा गठित दलपत सागर बचाओ समिति के संयोजक संजीव ने एतिहासिक धरोहर के इस स्थिति के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। संजीव शर्मा ने बताया कि दो साल पूर्व सफाई के नाम पर निगम  द्वारा 50 लाख रू. खर्च करने की बात कही वही बस्तरवासियो से भी दान स्वरूप चंदा लिया लेकिन लाखो रू. खर्च करने का दावा करने वाली निगम प्रशासन 40 फीसदी भी दलपत सागर की स्थिति सुधार नही पायी और अब तालाब की बदतर स्थिति का कसूर मछुआ समिति पर मढ दिया।