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जनजाति के लोग 5 सूत्रीय मांगों को लेकर पदयात्रा करने पर मजबूर

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Sep 15, 2018

पुरूषोत्तम पात्रा: गरियाबंद जिले का आदिम जाति कल्याण विभाग अपनी कार्यशैली को लेकर पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में बना हुआ है, विभाग की लापरवाही के कारण चार दिन पहले कमारजनजाति के लोग अपनी 5 सूत्रीय मांगो को लेकर पदयात्रा करने पर मजबूर हुए और अब आदिवासी समाज के बच्चे आश्रम को लेकर पदयात्रा करने पर मजबूर हो रहे है।

जिन नन्हें बच्चों को पाठशाला में होना चाहिए था आज वो सडक पर है, जिनके हाथ में पुस्तकें होनी चाहिए थी आज उनके हाथ में आंदोलन के बैनर है, जिनको ककहरा रटना चाहिए था आज वो जिन्दाबाद मुर्दाबाद के नारे लगा रहे है, अपने पालको के साथ नारे लगाते हुए पदयात्रा में चल रहे ये बच्चे बडे गोबरा आश्रम के है, इनकी मांग है कि बडे गोबरा के नाम पर शासन द्वारा भाठीगढ में चार साल से जो आश्रम संचालित हो रहा है वह उनके गॉव में खोला जाये ताकि वे अच्छे से पढाई कर सके, इसी मांग को लेकर वे अपने गॉव से 50 किमी पैदल चलकर जिला मुख्यालय में कलेक्टर से मिलने निकले है।

पालकों का दावा है कि अपनी इस मांग को लेकर वे पिछले चार साल से लडाई लड रहे है, अधिकारी उऩ्हें लगातार आश्वासन दे रहे है, इस बार भी अधिकारियों ने अगस्त महीने तक आश्रम बडे गोबरा में शिफ्ट करने का आश्वासन दिया था मगर आश्वासन पुरा नही हुआ, आज भी आश्रम बडे गोबरा से 5 किमी दूर भाठीगढ में संचालित हो रहा है, जिसका खामियाजा बडे गोबरा के बच्चों को भुगतना पड रहा है।

सरकार एक तरफ आदिवासियों को हर संभव मदद देने का दावा कर रही है वही गरियाबंद जिला प्रशासन सरकार के दावो पर पलीता लगाने में लगी है, जिन मांगो को लेकर चार दिन पहले कमार जनजाति के लोग 100 किमी की पदयात्रा पर निकले और जिस मांग को लेकर आज ये बच्चे 50 किमी की पदयात्रा करने मजबूर हो रहे है, ये सारी मांगे सरकार पहले ही पुरी कर चुकी है मगर जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग की लेटलतीफी के कारण आज तक अधूरी है।