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झीरम घाटी नक्सल हमले को लेकर पुनिया के दिए बयान से सियासत में खलबली

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Jul 17, 2018

झीरम घाटी नक्सल हमले का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है जिन्न बाहर आया तो सियासी हलचल तेज होना लाजिमी था झीरम के जिन्न को कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया ने यह कहते हुए बाहर लाया कि पब्लिक परसेप्शन कहता है कि घटना के पीछे रमन सरकार और अजीत जोगी का हाथ था पुनिया ने इस बयान के जरिए दो तीर एक साथ चलाया है एक पब्लिक परसेप्शन की आड़ में बड़ा सियासी दांव खेला, दूसरा अजीत जोगी के सहारे रमन सरकार पर आरोप जड़ दिया पुनिया ने यह बयान दिल्ली में दिया, लेकिन उससे ज्यादा सियासी हलचल छत्तीसगढ़ में हुई।

शैलेष नितिन त्रिवेदी ने उठाये बड़े सवाल

इस  मामले पर कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने भी सवाल उठाया है उन्होंने पूछा है कि झीरम घाटी की घटना जिस वक्त घटी उस वक़्त घटनास्थल से सुरक्षा क्यों हटाई गई विधानसभा में सीबीआई जांच का एलान किये जाने के बाद जांच क्यों नहीं की गई शहीदों के परिजनों को गृहमंत्री से मिलाने का आश्वासन देने के बाद भी मुख्यमंत्री ने क्यों नहीं मिलाया इन सब सवालों का जवाब सरकार को देना चाहिए।

मंत्री राजेश मूणत ने किया पलटवार

इधर पीएल पुनिया के बयान पर मंत्री राजेश मूणत ने पलटवार किया है मूणत ने कहा है कि पुनिया उत्तर प्रदेश से आते हैं उत्तर प्रदेश की ऐसी संस्कृति रही होगी वही उत्तर दे सकते हैं इन सब चीजों का बीजेपी का स्पष्ट मत है कि अगर उनके पास कोई दस्तावेज है मामले से जुड़ा कोई तथ्य है तो वे थर्ड पार्टी बनकर कोर्ट जाए सिर्फ राजनीति करनी है आरोप-प्रत्यारोप करना है शहीद नेता की आड़ में राजनीति करने वालों से आग्रह करना चाहता हूँ कि उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो दस्तावेजों को जांच एजेंसी के सामने प्रस्तुत करें ताकि गलत लोग जिन्होंने घटना को प्रश्रय दिया वो जनता के सामने बेनकाब हो सकें मूणत के अलावा बीजेपी ने पुनिया के बयान पर अधिकृत प्रतिक्रिया दी है।

झीरम घाटी हमले में अजीत जोगी का हाथ था : सुनील सोनी

बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील सोनी ने कहा है कि पुनिया ने 5 साल बाद कहा कि झीरम घाटी हमले में अजीत जोगी का हाथ था जिस समय ये घटना घटी उस वक़्त अजीत जोगी कांग्रेस के नेता थे दस जनपथ के करीबी थे उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी घटना के वक़्त मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी रायपुर आये थे उस वक़्त केंद्र सरकार का कार्यकाल करीब डेढ़ साल बचा था जिन तथ्यों के आधार पर पुनिया ने जो बातें कहीं है उन तथ्यों को जनता जानना चाहती है इन तथ्यों को उन्हें सामने रखना चाहिए।

झीरम घाटी नक्सल हमला एक बड़ा सियासी मुद्दा

रमन सरकार पर जिस तरह से गलत आरोप लगाए गए उन आरोपों पर पी एल पुनिया, टी एस सिंहदेव और भूपेश बघेल माफी मांगे बहरहाल चुनावी साल है चुनाव में महज चंद महीने बाकी है छत्तीसगढ़ में झीरम घाटी नक्सल हमला एक बड़ा सियासी मुद्दा है, जाहिर है इस मुद्दे पर सियासत गर्माएगी ही हालांकि इसका सियासी फायदा कितना मिलेगा यह बताना मुश्किल है।