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कोरबाः दुर्लभ प्रजाति का कछुआ ग्रामीणों के बीच बना कौतुहल का विषय

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Nov 26, 2019

मनोज यादव - जिले के दर्री क्षेत्र के ग्राम झाबू में पाया गया दुर्लभ प्रजाति का कछुआ ग्रामीणों के बीच कौतुहल का विषय बना हुआ है। नदी नाले के माध्यम से लुप्तप्राय प्रजाति का यह कछुआ इस क्षेत्र में पहुंच गया है। अपनी अनोखी बनावट को लेकर इस कछुए को लेकर काफी चर्चा हो रही है। ग्रामीण इसे आस्था से जोड़कर पूजा पाठ कर रहे हैं। वन विभाग को जब सूचना मिली तब मौके पर पहुंचे और कछुए के संबंध में जानकारी जुटाई। विभागीय कर्मचारियों ने इस कछुए की प्रजाति का नाम इंडियन स्टार टर्टिस बताया है,जो एक दुर्लभ प्रजाति है। कछुए को अपने कब्जे में लेकर इसे इसके संरक्षण स्थल में छोड़ने की तैयारी की जा रही है। दुनिया में वन्य प्राणियों का संसार जितना बड़ा है उतना ही बड़ा उनका रहस्य भी है। जंगलों में वन्य प्राणियों की ऐसी-ऐसी प्रजाति पाई जाती हैं जिसकी जानकारी आम तौर पर लोगों को नहीं होती और गलती से ऐसी प्रजाति लोगों के सामने आ जाती है, तो लोग उसे भगवान का रुप मान लेते हैं।

ग्रामीण इस कछुए को भगवान विष्णु का कच्छप अवतार मान रहे

ऐसा ही कुछ दर्री के ईलाके ग्राम झाबू मे भी देखने को मिला है जहां दुर्लभ प्रजाति का एक कछुआ ग्रामीणों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। नदी नाले से बहकर यह आकर्षक कछुआ गांव में पहुंच गया। जिसे पकड़कर लोग पूजा पाठ कर रहे हैं। ग्रामीण इस कछुए को भगवान विष्णु का कच्छप अवतार मान रहे हैं। ग्राम झाबू में दुर्लभ प्रजाति का कछुआ मिलने की सूचना जैसे ही वन विभाग को लगी वैसे ही कर्मचारी मौके पर पहुंच गए और कछुए के संबंध में जानकारी जुटाना शुरु कर दिए। इंटरनेट के माध्यम से कछुए की प्रजाति की जानकारी मिली। वन विभाग ने बताया कि इस कछुए की प्रजाति इंडियन स्टार टर्टिस है,जो भारत के अलावा श्रीलंका और पाकिस्तान में पाया जाता है।

इंडियन स्टार टर्टिस लुप्तप्राय वन्य प्राणी के श्रेणी में शामिल

इंडियन स्टार टर्टिस की घटती संख्या को देखते हुए इंटरनेशनल यूनियन फार कंज़र्वेशन ऑफ नेचर संस्था ने इसे लुप्तप्राय वन्य प्राणी के श्रेणी में डाल दिया है। जिसके बाद उसके पालन और विक्रय पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। वन विभाग के कर्मचारी दुर्लभ कछुए को अपने कब्जे में लेकर इसे इसके संरक्षण स्थल के सुपूर्द करने की तैयारी में जुट गए हैं। इंडियन स्टार टर्टीस के संबंध में कुछ रोचक जानकारियों मिली है। आम तौर पर कछुए जल और थल दोनों क्षेत्र में निवास करते हैं लेकिन इस प्रजाति का कछुआ अधिकतर समय सूखे स्थानों पर ही रहना पसंद करता है। इस कछुए की औषत उम्र 30 से 80 वर्ष तक होती है। बहरहाल इस दुर्लभ प्रजाति के कछुए को सहेजने का प्रयास किया जा रहा है।