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पिथौराः सुनवाई का मौका दिए बगैर भेज दिया जेल, घर से वारंट में कराए हस्ताक्षर

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Jun 27, 2019

रमेश सिन्हा- यह कैसा न्याय! ग्रामीणों को सुनवाई का मौका दिए बगैर नायब तहसीलदार ने जेल भेज दिया। घर से वारंट में कराए हस्ताक्षर। सरकारी भूमि में प्रधानमंत्री आवास मकान बनाने के मामले में नायब तहसीलदार ने तीन ग्रामीणों को बिना सुनवाई के जेल भेज दिया। तीन ग्रामीणों में से एक आदिवासी है। मामले में तीन ग्रामीणों से घर में ही वारंट पर हस्ताक्षर कराए गए।

जेराभरन गांव के उपसरपंच ने तीनों ग्रामीणों पर सरकारी भूमि में प्रधानमंत्री आवास मकान बनाने की शिकायत साकरा थाने में दर्ज कराई थी। साकरा पुलिस ने पिथौरा के तहसील न्यायालय में पेश किया गया, जहां नायब तहसीलदार ने निर्दोष ग्रामीणों को बिना सुनवाई किए जेल भेज दिया। बता दें कि तीनों ही ग्रामीणों के नाम से ग्राम के आबादी भूमि में प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हो चुका है, जिसमें 35 हजार रुपए की पहली किश्त भी मिल चुकी है।

नायब तहसीलदार की शिकायत उच्च अधिकारियों से की जाएगी

मामले में जेल भेजे गए ग्रामीणों नीलकुमार पिता श्रीपति सवरा, केसीलाल पिता विशम्भर यादव, महादेव पिता त्रिलोचन यादव ने बताया कि उनकी ओर से जमानत हेतु ऋण पुस्तिका भी पेश की गई थी, लेकिन अधिकारी न्यायालय में आए ही नहीं। उन्हें सुनवाई के अवसर भी नहीं मिला। नायब तहसीलदार सतीश कुमार रामटेके ने घर से वारण्ट में हस्ताक्षर किया है। पीड़ित ग्रामीणों के वकील बंजरंग अग्रवाल ने बताया कि नायब तहसीलदार ने मामले की सुनवाई किए बिना ही घर में बैठकर जेल वारन्ट काट दिया, जो कि न्याय संगत नहीं है, नायब तहसीलदार की शिकायत उच्च अधिकारियों से की जाएगी। मामले में पिथौरा एसडीएम बीएस मरकाम से इस संबंध में जानकारी नहीं होने की बात कहते हुए मामले की जांच कराने की बात कही।

मजिस्ट्रेट कहीं से भी काट सकता है वारंट

इस संबंध में नायब तहसीलदार रामटेके ने कहा कि तहसीलदार व पिथौरा एसडीएम नहीं थे। साकरा पुलिस ने तीन ग्रामीणों को धारा 151 के तहत शाम को 6 से 7 बजे न्यायालय में मामला पेश किया गया था। तीनों ग्रामीण के लिए एक पट्टा पेश किया गया था, जिसकी जांच-पड़ताल के लिए पटवारी को लिखा था। रही बात घर में वारंट काटने का, यह मेरे क्षेत्र अधिकार में है। मजिस्ट्रेट कहीं से भी वारंट काट सकता है।