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श्रीबालाजी हॉस्पिटल ने एक बार फिर लीवर ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में दूसरा कीर्तिमान किया स्थापित

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Oct 25, 2018

हेमंत शर्मा - निजी चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुके श्रीबालाजी सुपर स्पेश्यालिटी हॉस्पिटल मोवा रायपुर ने  एक बार फिर लीवर ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में दूसरा कीर्तिमान स्थापित किया है हॉस्पिटल के दक्ष और कुशल सर्जन की टीम ने लीवर ट्रांसप्लांट के जटिल ऑपरेशन को सफल बनाकर मरीज को नई जिन्दगी दी श्रीबालाजी हॉस्पिटल में हुए देश का पहला और छत्तीसगढ़ के पहले कन्जनाइटल सोलिट्री वाले का जटिल लीवर ट्रांसप्लांट, फिर उसके बाद लीवर ट्रांसप्लांट हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ देवेन्द्र नायक ने कहा कि,  ये दोनों सफलता हमारी संस्था नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के चिकित्सा जगत को गौरान्वित कर रहा है।

पुत्र ने दी पिता को नई जिंदगी

यहीं वजह है कि श्रीबालाजी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के दक्ष और कुशल अनुभवी चिकित्सकों की ख्याति देख छत्तीसगढ़ के दूरस्त अंचल से लेकर अन्य प्रांत जैसे मध्यप्रदेश भोपाल और उनसे सटे गांव व कस्बों के मरीज यहां लीवर ट्रांसप्लांट के लिए पहुंच रहे है उन्होंने बताया कि हाल ही में हमारे हॉस्पिटल में राजहर्ष कालोनी नयापारा भोपाल निवासी 57 वर्षीय बादामी लाल राय का लीवर ट्रांसप्लांट किया गया बादामी को उनके पुत्र ने अपना लीवर डोनेट कर अपने पिता को नई जिन्दगी दी मरीज बादामी लीवर की समस्या से काफी परेशान थे। जो अगस्त माह में लीवर की परेशानी लेकर श्रीबालाजी हॉस्पिटल पहुंचे। जहां पेट रोग एवं गेस्ट्रो सर्जन व श्रीबालाजी हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. देवेन्द्र नायक ने जांच के लीवर ट्रांसप्लांट के लिए परामर्श दिए।

दिन रात मेहनत कर बचाई मरीज की जान

उसके बाद मरीज के परिवारजनों को काउंसिल कर लीवर ट्रांसप्लांट के बारे में जानकारी दी जिसके बाद लीवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया पूर्ण कर 10 अगस्त 2018 को डॉक्टरों की टीम मिलकर इस जटिल ऑपरेशन को सफल बनाया  बता दें कि लीवर ट्रांसप्लांट करते समय मरीज की स्थिति काफी नाजूक थी, ऑपरेशन के दौरान जान जाने का भी खतरा था। जिससे परिजनों को अवगत कराया फिर डॉक्टरों ने इस चुनौती को स्वीकार करते कर दिन-रात मेहनत करके इस ऑपरेशन को सफल बनाया इस पुरे ट्रांसप्लांट में 10 लाख का खर्च मरीज को आया है जबकि बहार करीब 20 लाख रूपए इसमें लगता है।

प्रथम उपचार भोपाल के निजी अस्पताल में कराया गया था

लीवर ट्रांसप्लांट के मरीज बादामी लाल राय ने कहा कि यूं तो इलाज मध्यप्रदेश, हैदराबाद, दिल्ली, महाराष्ट्र जैसे मेट्रो शहर में बड़े से बड़े चिकित्सक मौजूद है जहां पेट रोग से संबंधित बीमारी का इलाज करते है लेकिन छत्तीसगढ़ में जिस तरह से आसान और सुगम तरीके से इलाज हुआ हैं उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। बादामी बताते है कि वे दो साल पहले भोपाल में पेट में तकलीफ की समस्या को लेकर अपनी प्रारंभिक जांच करवाई थी जहां उसे साधारण मेडिसीन के  देकर उन्हें इस समस्या से निजात मिल गई थी। जो करीब एक साल तक आराम मिला। उसके बाद पेट में पानी भर जाने की समस्या शुरू हुई। जिससे परेशान होकर भोपाल में ही डॉक्टरों को अपनी समस्या के बारे में बताया और इलाज के लिए  काउंसिलिंग भी किया गया। लेकिन उनकी समस्या को देखते हुए किसी भी डॉक्टर ने लीवर ट्रांसप्लांट करने से मना कर दिया। इसी दरम्यान एक पहचान के डॉक्टर ने श्रीबालाजी हॉस्पिटल रायपुर में लीवर ट्रांसप्लांट का सफल ऑपरेशन होने की बात कही।

ऑपरेशन के बाद मरीज ने कही यह बात

जिसे सुनने के बाद छत्तीसगढ़ रायपुर आकर हॉस्पिटल के डॉक्टरों से अपनी बीमारी के बारे में कंसल्ट किया जिस पर श्रीबालाजी हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. देवेन्द्र नायक ने लीवर ट्रांसप्लांट करने की हामी भरी उसके बाद हमने लीवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया को पूरा कर मध्यप्रदेश शासन और छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गठित कमेटी से अप्रुवल लिया फिर क्या अगस्त महीने में हॉस्पिटल में भर्ती हुआ और 10 अगस्त को डॉक्टरों की टीम ने मिलकर लीवर ट्रांसप्लांट किया गया इस ऑपरेशन के बाद अब मुझे किसी भी प्रकार की कमजोरी महसूस नहीं हो रहा है। मैं पहले जैसे ही अपनी जीवन शैली जी रहा हूं।