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कोरियाः तंजरा की होली, प्रमुख त्यौहार तय तिथि से एक सप्ताह पहले मनाये जाने का रिवाज़ 

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Mar 18, 2019

अजय गुप्ता- ब्रज की होली तो पूरे संसार में विख्यात है। बसंत पंचमी के शुरु होने के बाद लगभग 40 दिनों तक ब्रज की भूमि में होली का त्यौहार मनाया जाता है, जो यहां की परम्परा में है। आपको जानकर हैरत होगी कि कोरिया जिले के एक गावं में भी होली को मनाने की एक अलग परम्परा है। जहां इस त्यौहार को एक अनोखे अंदाज और निर्धारित तारीख से 5 दिन पहले मनाया जाता है, जिसकी ख्याति आसपास के गावों समेत कई जिलों में है। फाग के रस में डूबे कोरिया जिले के ग्राम तंजरा की होली को समय से पहले मनाने का अलग अंदाज है। इस गांव का अनोखापन यह है कि यहां सभी प्रमुख त्यौहार तय तिथि से एक सप्ताह पहले मना लिए जाते हैं। आधुनिकता की इस चकाचौंध में भंग-तरंग में डूब कर, ढोल-मंजीरे की थाप पर झूमते य़े ग्रामीण फाग के राग में राग मिलाते, यह लोग होली से पहले ही होली का त्यौहार मना रहे हैं।

5 दिन पहले ही होली की मची धूम

भारतीय कैलेण्डर के हिसाब से भले ही होली का त्यौहार आगामी 21 मार्च को हो परन्तु इनके गावं में तंजरा में इस त्यौहार को परंपरागत तरीके से 5 दिन पहले ही मनाने का रिवाज़ है, जो आज कई वर्षों से अनवरत चला आ रहा है। इस त्यौहार को समय से पहले मनाने का जो रिवाज़ है इन गांव वालों को ये तो नहीं पता कि ऐसा कब से होता आ रहा है, परन्तु हां, इन्हें ये जरूर पता है कि इनके गांव में आज ही होली है। 

अंधविश्वास में जकड़ा गांव

इस गांव में होली के त्यौहार को समय से पहले मनाने की इस प्रथा को आप अंधविश्वास तो कह सकते हैं, मगर ऐसा करने के पीछे जो कारण यहां के ग्रामीण मानते हैं, वह और भी आश्चर्य करने वाली बात लगती है। इनके हिसाब से शायद यही सच है। इनका मानना है अगर कोई भी त्यौहार समय से ठीक पांच दिन पहले नहीं मनाया जाये तो इस गांव में कोई न कोई अनहोनी होती है, जो गांव के किसी भी परिवार के यहां हो सकती है। हालांकि यह मान्यता गांव वालों की हो सकती है, परन्तु फिर भी आज के दौर में लोगों को यह सब बातें फिजूल ही लगती हैं। वहीं किसी अनहोनी के डर से ही सही, सभी मिल-जुलकर एक साथ होली का मज़ा लेने से नहीं चुकते।

परंपरा की बदलने की कोशिश में गांव में घटी अप्रिय घटना

प्रचलित लोक-संस्कृति और परंपरा के अनुसार यहां त्यौहारों को हफ्ते भर पहले इसलिए मनाया जाता है, ताकि ग्राम देवता प्रसन्न रहें। यही कारण है कि इस साल सारा देश जहां होली का त्यौहार जहां 21 मार्च को मनायेगा, इस गांव में यह पर्व सत्रह मार्च को ही मनाया गया। अब तक किसी ने भी अपने पूर्वजों के ज़माने से चली आ रही इस परंपरा से मुंह नहीं मोड़ा है। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह कि इस परंपरा की शुरुआत कब हुई, इससे गांव वाले अनजान हैं। गांव वाले कहते हैं कि उनके पूर्वजों के समय में कुछ लोगों ने इस परंपरा की बदलने की कोशिश की थी, तब गांव में अप्रिय घटना का खामियाजा भुगतना पड़ा। वहीं आज से लगभग चार से पांच वर्ष पूर्व एक बार फिर से गांव के कुछ लोगों ने इसे बदलने की कोशिश की, तब भी गांव में अप्रिय घटना घट गई। यही वजह है कि ग्रामीण होली त्यौहार को पहले ही मना रहे हैं।