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धूल खाती सड़क के किनारे अपने दुकान का संचालन कर रहे व्यापारी, प्रशासन के सुस्त रवैये से परेशान

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Nov 24, 2018

सुशील सलाम  - शहर की सबसे बड़ी समस्या सकरी सड़क को लेकर लगातार आवाज़ उठते रही है लेकिन सडक चौड़ीकरण तो नही हो सका इसके विकल्प में बाईपास का निर्माण शुरू हुआ था लेकिन तय समय बीत जाने के बाद भी बाईपास का काम 50 प्रतिशत भी नही हो सका है जिससे शहरवासियों को धूल और ट्रैफिक के बढ़ते दबाव से अभी और लड़ाई लड़नी होगी शहरवासियों की सालो पुरानी मांग को जब स्वीकार कर बाईपास ली स्वीकृति दी गई थी तो शहरवासियो में खुशी थी कि अब उन्हें ज्यादा दिन धूल और ट्रैफिक के दबाव से नही जूझना पड़ेगा लेकिन जिस तरह से एनएच विभाग और सम्बंधित ठेकेदार के सुस्त रवैया अपनाया हुआ है उससे बाईपास का इंतज़ार और लम्बा होता जा रहा है।

निर्माण में देरी का सबसे बुरा प्रभाल ग्रामीणों पर

बाईपास का काम सितम्बर 2018 में पूर्ण होना था लेकिन अब तक काम 50 प्रतिशत भी नही हो सका है बाईपास निर्माण का तय समय बीत चुका है लेकिन इसमें बनने वाले पूल की अब तक नींव तक नही रखी जा सकी है बाईपास में दो बड़े पूल के अलावा 4 छोटे पूल बनाये जाने है सड़क निर्माण से ज्यादा समय पूल निर्माण में लगना है लेकिन इसमें ही लेटलतीफी बरती जा रही है बाईपास निर्माण में देरी का सबसे बुरा प्रभाव यदि किसी पर पड़ रहा है तो वो शहर के व्यापारी है जिन्हें दिन भर धूल खाती सड़क के किनारे अपने दुकान का संचालन करना पड़ रहा है।

सड़कों पर उड़ने वाली धूल लोगो को  कर रही बीमार

व्यपारी कहते है प्रशासन और ठेकेदार के सुस्त रवैये के चलते उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है रोजाना हजारो बड़े वाहन इस मार्ग से गुजरते है जिससे उड़ने वाली धूल लोगो को  बीमार कर रही है 99 करोड़ की लागत से बनाये जा रहे 10 किलोमीटर लंबे कांकेर बाईपास को पूरा होने में अभी कम से कम 2 साल का समय और लग सकता है क्योंकि सबसे ज्यादा समय पूल निर्माण में ही लगना है जिसका काम अभी शुरू भी नही हो सका है।