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पखांजूरः पिछले 60 वर्षो से सरकार से केवल एक पुलिया की मांग कर रहे हैं ग्रामवासी

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Aug 22, 2019

अमर मंडल- कल चंद्रयान-2 चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया और इसके साथ ही भारत पूरे विश्व में एक महाशक्ति के रूप में ऊभर कर सामने आया। दूसरी तरफ इसी देश के एक कोने में एक गाँव ऐसा भी है जहाँ चंद्रयान-2 के कामयाबी की ख़ुशी से ज्यादा एक अदद पुलिया की जरुरत पहले नंबर पर है। हम बात कर रहे हैं कोयलीबेड़ा ब्लॉक के ग्राम अंजाड़ी सहित 5 ऐसे गाँवों के लोगों की जो पिछले 60 वर्षो से केवल एक पुलिया की मांग सरकार से करते आ रहे हैं ताकि इनके मासूम बच्चों को बारिश के दिनों में भी स्कूल भेजा जा सके। गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को समय पर अस्पताल पहुँचाया जा सके। अपने रोजमर्रा के कामों के लिए रोजाना अपनी जान जोखिम में डाल उफनता नाला न पार करना पड़े, पर इसे इन सैकड़ों ग्रामीणों की बदनसीबी कहें या शासन की बेरुखी, जो आज 60 साल बाद भी यहाँ के ग्रामीण महज एक पुल न होने के चलते अपनी जान गंवाने को विवश हैं। सरकार के चौखट पे फरियादों के कागजों का अंबार लगाने के बाद भी जब सरकार ने इनके मांग से मुंह मोड़ लिया तो इन ग्रामीणों ने अपने बेबसी के घांव पर खुद ही मरहम लगाने का फैसला किया।

बांस, बल्लियों और रस्सियों से पुलिया खुद ही तैयार करते हैं ग्रामवासी

पिछले 10 सालों से 6 गाँवों के ग्रामीण बिना किसी इंजीनियरिंग या आधुनिक संसाधनों के अपने देशी प्राकृतिक साधनों और अनुभव के दम पर जुगाड़ कर पुलिया बनाते आ रहे हैं। बांस के गोल बाड़े में बड़े-बड़े पत्थर डाल कर पुल का बेस बनाया जाता है और फिर उस पर बल्लियों से स्टैकचर तैयार कर बांस से बुनकर बनाये गए मैट को, रस्सी से बाँध कर, देशी जुगाड़ पुलिया बनाया जाता है। हर साल यह पुलिया पानी के तेज़ बहाव में बह जाता है या साल भर में आवाजाही से पुल टूट जाता है। ग्रामीण हर साल शासन से गुहार लगाते हैं, नुमाइंदों द्वारा ग्रामीणों को उम्मीद का पुड़िया थमा दिया जाता है। फिर साल उम्मीदों के सहारे बीत जाता है और एक बार फिर ग्रामीणों को संघर्ष करते हुए बेबसी में जुगाड़ का पुलिया तैयार करने को मज़बूर होना पड़ता है।

15 साल बाद प्रदेश में सरकार बदली है। “गढ़वो नवा छत्तीसगढ़” का थीम प्रस्तुत किया जा रहा है। अब ऐसे में आने वाले समय में ये देखना होगा कि भूपेश बघेल की सरकार क्या वाकई नए छत्तीसगढ़ की रचना कर पाती है, जिसमें इन ग्रामीणों के 60 साल की बेबसी दूर कर एक अदद पुलिया की सौगात दी जा सके या फिर इन बेबस ग्रामीणों की जुगाड़ का पुलिया बनाने की तक़दीर जस की तस बनी रहेगी।