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परिजनों पर भारी अंधविश्वास, अपने मृत बच्चों को जीवित करने के लिए 2 घंटे तक नमक में रखवाया शव

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Aug 22, 2019

दीपिका अग्रवाल : डूबते हुए को तिनके का सहारा, ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है कि डूबकर मौत होने के बाद नमक ला सकता है प्राणपखेरू वापस। जी हां, मरने वाले को नमक में लगभग दो घन्टे दबाकर रखा जाए तो मरे हुए व्यकि का जीवन आ सकता है वापस। ये हम नहीं कह रहे है, ये दावा सोशल मीडिया में वायरल हुए एक फोटो में किया जा रहा है।इस दावे के आधार पर इंदौर में दो युवकों के प्राण वापस लाने के प्रयास भी हुए, आइये आपको दिखाते है क्या है इस वायरल फोटो की हकीकत......

क्या है पूरा मामला?
18 अगस्त को तीज के त्यौहार पर सांवेर के नजदीक स्थित चितौड़ा गांव में तालाब में नहाने के दौरान चार लोग डूब गए,जिसमें से दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि दो अन्य गंभीर घायल हो गए। दरअसल ग्राम चितौड़ा गाँव में तीज के त्यौहार पर तालाब में नहाने की परम्परा है, जिसमें कई प्रकार की रस्मों का पालन किया जाता है। इसी परम्परा को निभाने के दौरान गाँव के कुछ लोग तालाब पर नहाने गए तो एक का पैर फिसल गया,उसे बचाने के प्रयास में बाकी तीन भी डूब गए। गांव वाले तत्काल ही चारों को साँवेर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गये जहां पर कमलेश दुबे और हरीश दुबे दोनों ही सगे भाइयों को मृत घोषित कर दिया गया और घायल केवल पिता अशोक दुबे, कांता पति अशोक दुबे को इलाज के लिए इंदौर रैफर किया गया। 
दोनों भाइयों की मौत ने परिजनों को अन्धविश्वासी बना दिया।

परिजनों के मुताबिक
परिजनों का कहना है कि सोशल मीडिया पर उन्होंने देखा था कि कोई व्यक्ति यदि डूब जाए और उसे डॉक्टर मृत घोषित कर दे, उसके बाद भी उसे नमक के सहारे जीवित किया जा सकता है। वही देख कर परिजनों ने भी दोनों बच्चो को 3 क्विंटल 50 किलो नमक में 2 घंटे तक रखा, लेकिन उनके प्राण वापस नहीं आये। परिजनों का कहना है कि ऐसा करने से अस्पताल में हमें किसी ने भी नही रोका। 

सीएमएचओ डॉ. प्रवीन जडिया का पूरे मामले पर बयान
वहीं इस अन्धविश्वास के मामले में सीएमएचओ डॉ. प्रवीन जडिया का कहना है कि सांवेर के सरकारी अस्पताल में 2 युवकों को पानी में डूबने के बाद लाया गया था, जिनकी प्राथमिक जांच के बाद डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया था,लेकिन पोस्टमार्टम उस समय नही किया जा सकता था, इसलिए उनके शव को मरचुरी में रखने के लिए कहा गया था। किंतु मृत युवकों के परिजनों को कहीं से किसी के कहे अनुसार जानकारी मिली थी कि नमक में डूबने वाले व्यक्ति को रखा जाए तो वो 2 घंटे में फिर से जीवित हो सकते है।परिजनों को जो ठीक लगा उन्होंने किया, इस पूरी घटना की के बाद परिजनों के द्वारा जो भी किया गया उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं बनती वो पुलिस विभाग से जुड़ा हुआ मामला है। 

अन्धविश्वास को कौन दे रहा बढ़ावा?
जिम्मेदारों के ऐसे बयान के बाद सवाल उठता है कि आखिर अन्धविश्वास को कौन बढ़ावा दे रहा है। वही स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट का कहना है कि मैंने अधिकारियों से इस पूरे मामले की जानकारी ली। दोनों युवकों की डूबने की वजह से मौत हुई थी। जिनकी मृत्यु के बाद उनके परिजनों को 4-4 लाख रुपये देने की घोषणा भी की है किंतु आज उन्हें हमारी ज्यादा जरूरत है और हम उनके साथ खड़े है। साथ ही अंधविश्वास के चलते उन युवकों के परिजनों ने युवकों का जीवन बचाने के लिए प्रयत्न किए। जो केवल मात्र अंधविश्वास था। लेकिन हर किसी की किसी ना किसी पर आस्था होती है ओर उसी आस्था के भरोसे उन्होंने ये किया होगा। 

परिजनों पर भारी अंधविश्वास
बहरहाल इस मामले में अन्धविश्वास भले ही परिजनों पर हावी रहा लेकिन ये भी साफ़ हो गया कि सोशल मीडिया नए अंधविश्वासों को जन्म दे रहा है। सोशल मीडिया पर हकीकत से रूबरू होने के साथ लोग अफवाहों और अंधविश्वासों के मकडजाल में भी जकड़ रहे है। जरुरी है कि ऐसे अंधविश्वासों से बाहर आकर चिकित्सक की बातों पर यकीन किया जाए।