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राजनांदगांवः कुछ रुपयों के लालच में तंत्र मंत्र के नाम पर पकड़े गये कछुए

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Jul 26, 2019

मनोज मिश्ररेकर- सैयाद की कैद में बुलबुल की कहानी बहुत लोगों ने सुनी होगी, लेकिन राजनांदगांव में तीन कछुए कैद में हैं। तीन कछुओं को बीते 5 वर्षों से न्याय की आस है, लेकिन अब उनकी दुनिया एक प्लास्टिक की टंकी में ही सिमट चुकी है। राजनंदगांव जिले के वन विभाग के डिपो में प्लास्टिक की टंकी से निकलकर खुली हवा में जीने के लिए संघर्ष कर रहे इन कछुओं का कसूर सिर्फ इतना है कि उन्हें कुछ रुपयों के लालची आरोपियों के द्वारा तंत्र मंत्र के नाम पर पकड़ा गया था। आरोपी पुलिस के कब्जे में आए और पुलिस ने कछुओं को भी बरामद किया। वहीं आरोपी ज़मानत पर छूट गए, लेकिन कछुए आज भी इस प्लास्टिक टैंक में कैद हैं।

आरोपी छूट गये मगर कछुए अब भी कैद में

दरअसल मामला वर्ष वर्ष 2015 का है। बसंतपुर थाने की पुलिस ने सात आरोपियों को कछुए से रुपए झरण का लालच देकर कुछ लोगों को ठगने के मामले में गिरफ्तार किया था। इन आरोपियों के कब्जे से पुलिस को चार कछुए भी बरामद हुए थे। जिसमें से एक कछुए की मौत हो गई थी, वहीं तीन कछुए जीवित मिले। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला न्यायालय में पेश किया और कछुओं को वन विभाग की अभिरक्षा में दे दिया। कुछ माह बाद आरोपियों को जमानत मिल गई लेकिन कछुए आज भी अपनी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि मामला अभी भी न्यायालय में चल रहा है। इस मामले को लेकर वन विभाग के डीएफओ का कहना है कि मामला न्यायालय में चलने की वजह से कभी भी कछुओं की जरूरत पड़ सकती है। इस वजह से इन्हें सुरक्षित ठिकाने पर नहीं छोड़ा गया है और वन विभाग की अभिरक्षा में कछुओं को रखा गया है।

4 वर्षों से एक प्लास्टिक की टंकी में जी रहे कछुए

वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा के तहत वन्य प्राणियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बनती है, लेकिन न्यायालीन मामलों में पेशियों की वजह से यह कछुए आज कैद में है। इन कछुओं को किसी अभ्यारण या सुरक्षित ठिकानों में छोड़ा जा सकता है लेकिन मामला न्यायालय में चलने की वजह से कछुआ को छोड़ने में विभाग के द्वारा न्यायालय से अनुमति लेने की जरूरत है। लेकिन वन विभाग ने इस 4 वर्षों में इस ओर ध्यान नहीं दिया जिसकी वजह से एक छोटे से ड्रमनुमा टंकी से इन कुछओं को आजादी नहीं मिल पाई। कुछए इन 4 वर्षों में बड़े तो हो गए लेकिन ये अपनी आज़ादी के लिए गुहार लगाएं भी तो किससे क्योंकि इनकी पैरवी करने वाला भी कोई नहीं है।