Jul 31, 2019
सुशील सलाम- सबसे ज्यादा कठिन जीवन होता है वन भूमि पर रहने वाले ग्रामीणों का। एक तरफ सुविधाओं का अभाव, काने पीने से लेकर पेयजल तक की समस्या, आवागमन की समस्या इन सबके बीच वे अपने आपको ढालते हुये जीना सीख जाते हैं। पर परेशानी तब होती है जब रहने के लिए स्थायी जमीन न हो। जहां बरसों से रह रहे हैं, वहीं उनके नाम पट्टा तक नहीं। कांकेर जिले के नरहरपुर ब्लाक के पारधी परिवार बांस के सामान बनाकर जीवन यापन करने वाले ग्रामीणों को वन भूमि पट्टा नहीं मिलने से परेशान है। दफ्तर के चक्कर काटते -काटते थक चुके ग्रामीणों ने एक बार फिर प्रशासन से वन भूमि पट्टा दिलाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा है।
जिले में लगभग 11 सौ से अधिक पारधी परिवार जिन्हें पट्टा नहीं मिला
ग्रामीणों का कहना है कि नरहरपुर क्षेत्र में लगभग कई ऐेसे पारधी परिवार हैं जिन्हें आज भी वन भूमि पट्टा नहीं मिला है। उनके पूर्वज इस जमीन में रहकर जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन वन भूमि का पट्टा नहीं मिलने के कारण उन्हें व उनके परिवार को चिंता सताने लगी है। उनका कहना है कि नरहरपुर क्षेत्र के ग्राम डोकरानाला, मांडाभर्री, बांगाबारी, शामतरा, चोरिया सहित कांकेर क्षेत्र के ग्राम घोटिया के ग्रामीण है। जिन्हें अब तक पट्टा नहीं दिया गया है। इसी तरह जिले में लगभग 11 सौ से अधिक पारधी परिवार है जिन्हें पट्टा नहीं मिल पाया है। सभी ग्रामीण कई बार मुख्यालय पहुंच कर शासन प्रशासन से वन भूमि पट्टा दिलाने की मांग करते आये है। जिसके बावजूद भी प्रशासन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है।