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माउंटेन मैन की राह पर चल रहे सरगुजा के ग्रामीण, पहाड़ को चीरकर बना रहे खुद का रास्ता

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Aug 22, 2019

राम कुमार यादव : देश में माउंटेन मैन के नाम से चर्चित रहे दशरथ मांझी ने केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर अकेले ही 360 फुट लंबे 30 फुट चौड़े और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली थी और 22 वर्षों के अथक परिश्रम के बाद गरीब मजदूर दशरथ 55 किमी की दूरी को 15 किलोमीटर कर दिया था। ऐसा ही सरगुजा में एक गांव के लोग भी करते नजर आ रहें हैं। शासन की अनदेखी के शिकार गांव के लोग पहाड़ पर रास्ता बनाकर ब्लॉक मुख्यालय पहुंचने की दूरी कम कर रहें हैं।

दशरथ मांझी की तर्ज पर गांव वालों की पहल
दशरथ मांझी की कहानी शायद सबने सुनी होगी। ऐसी ही कहानी को दुहराने.. इन दिनों सरगुजा के कदनई गांव के लोग भी अथक मेहनत कर रहे हैं। मैनपाट ब्लॉक की तराई में बसे इस गांव के लोग मंत्री नेता कलेक्टर के दरवाजे के चक्कर लगा लगा कर इतना परेशान हो गए हैं कि अब ये लोग खुद श्रम करके अपने गांव से ब्लॉक मुख्यालय की दूरी कम करने सड़क बनाने मे जुट गए हैं। दरअसल मैनपाट पहाड के नीचे बसे गांव के लोगों को वर्षो से ब्लॉक मुख्यालय तक जाने के लिए करीब 60 किलोमीटर की दूरी तय करना पडता था लेकिन पहाडी रास्ते से ये दूरी महज 20 किलोमीटर हो जाती है। लिहाजा गांव के लोग खुद से उस पहाड के सीने पर सडक बनाने को मजबूर है। 

गांव के सरंपच के मुताबिक
सरगुजा जिले के मैनपाट विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले कदनई गांव का दुर्भाग्य है कि अपने ब्लॉक मुख्यालय जाने के लिए नवानगर होकर 60 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करना पडता है तो पडोसी ब्लॉक मुख्यालय जाने के लिए उनके बिना पुल का पहाड़ी नाला पार करना पडता है और अगर दिन बरसात के हो तो फिर उनके सामने हाथ में हाथ धरे रहने के सिवाय कोई रास्ता नहीं होता। गांव के सरंपच से इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उनकी मांग पर कई बार अधिकारी कर्मचारी टेप मीटर लेकर आए लेकिन अब तक सड़क नहीं बनी लिहाजा वो भी ग्रामीणों के साथ मिलकर सड़क बनाने के काम में भिड़े हुए हैं।

मंत्री जी खुद नहीं जाते गांव
पिछले 15 साल से प्रदेश में भाजपा की सरकार थी, तो पिछले 8 महीने से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। खाद्य मंत्री और स्थानिय विधायक अमरजीत भगत से जब इस गांव की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिती की दास्तां बयां की गई तो उनका जो जवाब आया वो आप को हैरान कर देगा, क्योंकि मंत्री जी क्षेत्र से 4 बार विधायक भी रहे हैं और जब वो उस क्षेत्र में जाते हैं तो पुल सड़क नहीं होने की वजह से वो खुद कदनई तक नहीं पहुंच पाते हैं।

जब मंत्री जी खुद ही उस गांव नहीं जाते तो लोगों का दर्द कैसे समझेंगे..
मंत्री जी जब खुद उस गांव तक नहीं पहुंच पाते हैं। तो आप भला उनका दुख दर्द कैसे समझेंगे और अब तो आप मंत्री बन गए हैं। मीटिंग के सिलसिले में भी शायद ही उस गांव की तरफ जाना हो तो ऐसे में गांव की सडक और पुल निर्माण के बारे मे सोचना भी जल्दबाजी होगा। बहरहाल मंत्री जी के मुताबिक अब वो सरकार में हैं और अगले बजट में वो इस गांव की ओर नजरें इनायत करने का दावा भी कर रहें है।