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प्रधानमंत्री को अपने हाथ से ​खाना खिलाने वाली बल्दी बाई को आज तक नसीब नहीं हुई पक्की छत

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May 27, 2019

पुरूषोत्तम पात्रा : प्रधानमंत्री को अपने घर में बिठाकर अपने हाथों से भोजन कराना कोई मामूली बात नही है, शायद देश के गिने गुने लोगों को ही ये सौभाग्य प्राप्त हुआ हैं, उऩमें से भी सामान्य परिवारों की गिनती तो नहीं के बराबर है, मगर गरियाबंद जिले की बल्दी बाई को ये मौका मिलने के बाद भी उसके जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आय़ा, जीवन के अंतिम पडाव पर पहुंच चुकी बल्दी बाई को एक पक्की छत तक नसीब नही हो पायी।

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गॉधी को अपने हाथों से खिलाया था खाना
तस्वीरों में नजर आ रही ये गरियाबंद जिले के कुल्हाडीघाट की बल्दी बाई हैं, ये वही बल्दी बाई हैं जो 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गॉधी और उनकी पत्नि सोनिया गांधी को अपने घर में बिठाकर अपने हाथों से कंदमूल खिलाने के बाद पोस्टर लेडी बनी गयी थी, मीडिया में आज भी बल्दी बाई की तस्वीरें गरियाबंद के बडे नेताओं के मुकाबले कहीं ज्यादा नजर आती है, मगर ये बल्दी बाई का दुर्भाग्य है कि सरकार की तमाम योजनाओं के बाद भी आज तक उसे पक्का घर नसीब नही हो पाया, जिंदगी के अंतिम पडाव पर बैठी बल्दी बाई आज भी पक्के की घर की आश लगाये बैठी है और लकडी की टोकरी बनाकर अपना गुजर बसर करने पर मजबूर है।

नेताओं ने दिया सिर्फ आश्वासन
ऐसा नही है कि नेताओं को इस बात की जानकारी ना हो, अपने दौरे के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गॉधी ने कुल्हाडीघाट को गौद लिया था, उसके बाद से कांग्रेस के कई दिग्गज नेता समय समय पर यहॉ पहुंचते रहे, सभी ने बल्दी बाई के साथ फोटो खिंचवाई और हर संभव मदद का आश्वासन देकर चलते बने, कांग्रेस के स्थानीय नेता भी बल्दी बाई की उपेक्षा होने की बात स्वीकार कर रहे है।

आदिवासी परिवार से है बल्दी बाई 
ऐसा नही कि बल्दी बाई किसी रहीस खानदान से है, या फिर उसके परिवार में कमाई को कोई बडा जरिया है, बल्कि बल्दी बाई एक गरीब आदिवासी परिवार से ताल्लूक रखती है, वह आज भी टुटे फुटे कच्चे घर में रहती है, पति और इकलौता बेटा गरीबी में दम तोड चुके है, फिलहाल वह अपने चार नातियों के साथ मजदूरी करके अपना गुजर बसर कर रही है, कांग्रेस शासनकाल की इंदिरा आवास योजना हो या फिर भाजपा शासनकाल की पीएम आवास योजना हो, दोनों ही योजनाओं की पात्रता रखने के बाद भी बल्दी बाई को अब तक पक्का मकान नही मिलना समझ से परे है।