Nov 16, 2016
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने सुकमा में आदिवासी सामनाथ हत्याकांड मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और जेएनयू प्रोफेसर अर्चना प्रसाद समेत 4 लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी और न ही उनसे पूछताछ की जाएगी, साथ ही सरकार ने कोर्ट को कहा कि इस मामले में कोई भी कार्रवाई से 4 हफ्ते पहले नोटिस दिया जाएगा।
इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को यह आदेश दिया था कि 15 नवंबर तक इस मामले में किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता प्रोफेसर सुंदर सहित अन्य लोगों को कहा कि अगर वे सरकार के किसी भी कार्रवाई से असंतुष्ट हों तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
गौरतलब है कि दरभा क्षेत्र के ग्राम नामा में 4 नवंबर को सामनाथ बघेल की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी थी।पुलिस के मुताबिक सामनाथ बघेल की पत्नी की शिकायत पर तोंगपाल थाने में प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर, प्रोफ़ेसर अर्चना प्रसाद, सीपीएम नेता संजय पराते, विनीत तिवारी, मंजू कवासी और मंगल राम कर्मा के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया था। हालांकि मामले में पुलिस के दावे के विपरीत मृतक सामनाथ की पत्नी ने स्थानीय पत्रकारों को बताया कि उसने किसी के नाम से कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है और न ही वह अपने पति के हत्यारों को पहचानती है।
बताया गया कि इस साल मई माह में दरभा थाने में नामा के ग्रामीणों ने नंदिनी सुंदर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत करने वालों की अगुआई सामनाथ ने ही की थी। शिकायत में आरोप लगाया था, मई माह मे नंदिनी सुंदर ने ऋचा केशव छद्म नाम से जेएनयू की अर्चना प्रसाद व दो अन्य लोगों के साथ बस्तर भ्रमण के दौरान दरभा के नामा और कुमाकोलेंग का दौरा कर वहां ग्रामीणों को बैठक में शासन-प्रशासन व सुरक्षा बल के खिलाफ भड़काया था।
टांगी ग्रुप बनाकर नक्सली के खिलाफ छेड़ा था आंदोलन
सामनाथ बघेल ने नक्सलियों के खिलाफत करते टांगी ग्रुप बनाया था और गांव में नक्सलियों को घुसने नहीं देने के लिए ग्रामीणों के साथ समानांतर विद्रोह कर दिया था। गांव वालों के साथ मिलकर बैठक में यह फैसला लिया गया था। गांव की शांति को बनाए रखने के लिए गांव में न नक्सलियों को घुसने दिया जाएगा और न ही पुलिस को। यह बात नक्सलियों को नागवार गुजरी और उसकी हत्या कर दी गई।