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पहाड़ी कोरवाओं का विकास सिर्फ कागजों पर, धरातल पर नहीं लाभ

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Jan 29, 2018

**कोरबा**। सामरबार, गोल्हार, चित्तर ढांड, लेमरू, लाभ पहाड़ यह ऐसे गांव हैं,जहां राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र यानी पहाड़ी कोरवा निवास करते हैं, और कोरबा जिले के अलग-अलग इलाकों में पहाड़ी कोरवाओं की उपस्थिति के कारण ही जिले को कोरबा नाम मिला। मगर आज भी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पहाड़ी जीवन जीने को मजबूर हैं, इनके लिए चलाई गई योजना और लाखों करोड़ों रुपए कहां खर्च किए गए यह सवाल तब खड़ा होता है, जब इनकी परिस्थिति को देखा जाए। **रोजगार न मिलने से परेशान...** इसी के चलते पहाड़ी कोरवा रोजगार न मिलने और योजना का लाभ न मिलने के कारण कलेक्टर दफ्तर पहुंचे, जहां उन्होंने मनरेगा के काम गांव में संचालित नहीं होने के साथ ही लाइवलीहुड कॉलेज में प्रशिक्षण पाने के बाद भी बेरोजगार घूमने और बकरी पालन जैसी योजनाओं का लाभ न मिलने की बात कही पहाड़ी कोरवाओं ने यह भी कहा कि तमाम सुविधाएं नहीं मिलने के कारण वह कंद मूल खा रहे हैं, और आज भी दूसरों के यहां मजदूरी कर अपनी आजीविका चला रहे हैं, पहाड़ी कोरवाओं की मांग है, कि उनके लिए ना सिर्फ रोजगार मुखी काम स्वीकृत कराए जाएं बल्कि उन्हें अलग-अलग योजनाओं से लाभान्वित भी किया जाए, ताकि वह भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। **कोरवाओं के लिए और प्रयासों की जरूरत...** पहाड़ी कोरवाओं के विकास के लिए सरकार और प्रशासन की तरफ से लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए गए मगर कोरबा जिले के पहाड़ी कोरवा बाहुल्य गांव में तस्वीर अब तक नहीं बदली है, जिला प्रशासन यह खुद मान रहा है कि पहाड़ी कोरवाओं के लिए और काम करने की जरूरत है। सरकार और प्रशासन लगातार काम कर भी रहा है, यही नहीं पहाड़ी कोरवाओं की मांग के अनुरूप उन्हें रोजगार मुहैया कराने की बात भी जिला प्रशासन कर रहा है, ताकि रोजगार से जुड़कर पहाड़ी कोरवा भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। **योजनाओं का मिले लाभ...** प्रशासन भले ही पहाड़ी कोरवाओं के उत्थान की लाख दलीलें दे, मगर जिस तरह से गांव की तस्वीर अभी बदहाल है, और पहाड़ी कोरवा रोजगार और स्वावलंबी बनने प्रशासन के दफ्तरों के चक्कर काटते थक रहे हैं, ऐसे में समझा जा सकता है कि पहाड़ी कोरवाओं का विकास महज कागजों पर ही हो पाया है, धरातल पर नहीं। ऐसे में जरूरत है कि योजनाओं का क्रियान्वयन जरुरतमंदों तक पहुंचे, ताकि सचमुच राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों का विकास हो सके।