Sep 24, 2019
राम कुमार यादव : यूं तो देश में कई देवी देवताओं की पूजा की जाती है वहीं सरगुजा के लोग परम्परा गत जीवितिया के इस त्यौहार में माता चिल्हो रानी की पूजा करते है। लोग घर के आंगन में बांस और परसा पेड़ के पौधे को लगाकर उसे भगवान के रूप में पूजते है। इस पूजा से माता खुश होकर परिवार की रक्षा करती हैं। लोगों की माने तो जीवीतिया उपवास रखने से घरों में आने वाली बुरी बला भी टल जाती है।
त्यौहार के रंग में रंगे नजर आए सरगुजावासी
सरगुजा में लोग जीवितिया तेव्हार के रंग में रंगे नजर आए। जीवितिया पुत्रिका का पर्व यूं तो पूरे देश में मनाया जाता है पर सरगुजा के लोगों के लिए यह पूजा बहुत खास रहती है। तीन दिनों तक चलने वाली इस पूजा में घर की महिलाएं उपवास रख कर अपने बच्चो की सुख शांति की कामना चिल्हो रानी से करती है और लोगों का मानना भी है कि जीवितिया में माता चिल्हो रानी की पूजा करने से घर के बच्चे सभी दुख दुविधा से दूर रहते है।
तीन दिनों तक चलता है ये व्रत
जीवितिया की पूजा तीन दिनों तक चलती है। पहले दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती है। दूसरे दिन हल्का फलाहार करते है और तीसरे दिन माता की बिदाई की जाती है। व्रत रखने वाली आस पड़ोस की सारी महिलाएं,बच्चे और पुरुष रात में एक जगह एकत्रित होकर रात भर मांदर की थाप पर सरगुजिहा गीत गा कर जीवीतिया कर्मा नाच गाने का क्रार्यक्रम करते है। जिउतिया, जीवीतिया या जीवित पुत्रिका कई नामों से पहचाने जाने वाला यह व्रत उत्तर भारत के सभी राज्यों सहित छत्तीसगढ़ के भी कुछ क्षेत्रों में भक्ति भाव से मनाया गया है, 3 दिन की पूजन विधि के साथ महिलाओं ने 24 घंटे का निर्जला उपवास किया है।