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वन विभाग बना भ्रष्टाचार की चारागाह, 1 लाख की रिश्वत लेते एसडीओ गिरफ्तार

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May 25, 2018

गरियाबंद उदंती अभयारण्य के एसडीओ आरपी दुबे को एक लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों एसीबी ने जिस मामले में पकडा है उस मामले की अब धीरे धीरे परतें खुलने लगी है, और अब तक जो जानकारी सामने आयी है उसको देखकर सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि उदंती अभयारण्य अब वन्य जीवों की शरणस्थली नहीं रही बल्कि वन विभाग के अधिकारियों के लिए भ्रष्टाचार की चारागाह बन चुका है।

एसडीओ आरपी दुबे को एक लाख की रिश्वत लेते किया गिरफ्तार

वन विभाग के ठेकेदार यशवंत साहू और दीपक ध्रुव की शिकायत पर एसीबी की टीम ने गुरुवार को एसडीओ आरपी दुबे को एक लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथो गिरफ्तार किया है, यशवंत साहू ने इस मामले में मीडिया को जो बताया उसे सुनकर आप भी दंग रह जायेंगे, उन्होंने बताया कि विभाग में काम करने के बाद बिल पास कराने के समय 10 प्रतिशत कमीशन निर्धारित है, उन्होंने भी इतनी रकम पहले ही एसडीओ को दे दी थी, मगर एसडीओ द्वारा ढाई लाख रुपये की अतिरिक्त मांग की गयी थी उसमें से भी 50 हजार दे दिया गया था मगर उसके बाद भी एसडीओ द्वारा बिल पास नही किया जा रहा था, एसडीओ पूरा ढाई लाख लेने के बाद ही बिल पास करने की जिद पर अडे हुए थे, मतलब साफ है कि विभाग में बिना लेन देन के काम कराना संभव नही है।

बिल पास का काम कैसे होता है देखिए
ये तो सिर्फ बिल पास कराने के दौरान होने वाला भ्रष्टाचार है, काम कैसे होता है अब जरा ये भी जान लीजिए, जिस मामले में एसडीओ आरपी दुबे को जेल की हवा खानी पडी अब जरा उस काम को भी देख लीजिए, उदंती अभयारण्य में जुगाड मुख्यमार्ग से जुगाड बस्ती तक 4.3 किमी लम्बी सडक का दो चरणों में विशेष मुरम्मत किया जाना था, वैसे तो ये काम कलेक्टर द्वारा ग्रामीणों की मांग पर ग्राम पंचायत के माध्यम से लोगो को मनरेगा के तहत रोजगार देने के उदेश्य से स्वीकृत किया था, मगर वन विभाग अभयारण्य क्षेत्र होने का हवाला देकर काम अपने अधीन ले लिया, जो काम लोगो को रोजगार देने के लिए स्वीकृत हुआ था उसी काम को वन विभाग ने बिना टेंडर निकाले मशीनो से करवा दिया, यही नही दुर से मुरम ढुलाई के बिल लगाये गये जबकि सडक के किनारे से ही मुरम खोदकर डाल दी गयी, गॉव के जिन लोगो ने इस काम में मजदूरी की उनका भुगतान भी अब तक नही हुआ, विभाग ने ठेकेदारों के बिल निकालने में तो दिलचस्पी दिखाई मगर मजदूरों की मजदूरी देने में कोई रुचि नही ली।

उच्चाधिकारियों ने बनाई मीड़िया से दूरी
मामले की परतें खुलने के बाद विभाग के उच्चाधिकारियों ने मीड़िया से दूरी बना ली है, ऐसे में सवाल उठता है कि विभाग मामले की जांच कर बाकी बचे दोषियों पर कोई कार्यवाही करेगा या फिर मामले को ठंडे बस्ते में डालकर रफा दफा करने में जुट जायेगा।