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गरियाबंद में भुईंया कार्यक्रम लागू होने से किसानों को कर्ज मिलना हुआ मुश्किल

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May 29, 2019

पुरूषोत्तम पात्रा : प्रदेश में अब किसानों को कृषि ऋण मिल पाना मुश्किल होता जा रहा है, खासकर उन किसानों को अब लोन मिलना मुश्किल हो जायेगा जो अपनी एक ही जमीन के रकबे पर राष्ट्रीयकृत बैंक के अलावा जिला सहकारी बैंक से भी लोन लेते आये है, या फिर एक बार लोन लेकर उसे चुकाने का नाम नही लेते है, प्रदेश के तमाम जिला सहकारी बैंक भी अब राष्ट्रीयकृत बैंकों की तरह ऑनलाइन हो गए है, ऋण की जानकारी किसानो की जमीन के रकबे पर ऑनलाइन दर्ज होने से अब किसान ना तो कर्ज वाली जमीन को बेच पाएंगे और ना ही पुराना ऋण चुकाए बैगर नया ऋण ले पाएंगे, गरियाबंद जिले में इसका असर दिखने लगा है।

एक अप्रैल से भुईंया योजना लागू 
प्रदेश में एक अप्रैल से भुईंया योजना लागू हो गयी है, जिला सहकारी बैंक अब भुईंया पोर्टल में चेक करने के बाद ही किसानों से लेन देन करेंगे, किसानों की जमीन की तमाम जानकारी भुईंया में दर्ज है, जमीन का रकबा हो या फिर जमीन पर किसी भी बैंक से लिये गये लोन की जानकारी हो ये सब अब जिला सहकारी बैंक के भुईंया में उपलब्ध रहेगी, बैंक से जुडे अधिकारी का कहना है कि कुछ किसान अपनी एक ही जमीन पर कई बैंको से लोन ले लेते थे, या फिर जमीन की एवेज में लोन लेने के बाद उसी जमीन को बेच देते थे या फिर लोन लेकर उसे जमा नही करते थे, अब भुईंया कार्यक्रम लागू होने के बाद किसान ऐसा नही कर पायेंगे, उनके मुताबिक लेन देन में अच्छे किसानों को लोन लेने में कोई परेशानी नही आय़ेगी मगर बदनियत से लोन लेने वाले किसानों के लिए अब बैंको के दरवाजे बंद हो जायेगे।

भुईंया कार्यक्रम को सरकार का एक क्रांतिकारी कदम
सरकार की इस योजना का असर गरियाबंद जिले में भी दिखने लगा है, अकेले देवभोग क्षेत्र की बात की जाये तो देवभोग जिला सहकारी बैंक ने 67 ऐसे किसानों को लोन देने से मना कर दिया है जिन्होंने अपनी जमीन पर दुसरे बैंको से लोन ले रखा था, इसके अलावा 25 ऐसे किसानों को लोन नहीं दिया गया जिनकी जमीन का नामांतरण नही होने के कारण रकबे में अंतर था, 190 ऐसे किसानों को भी बैंक ने लोन देने से मना कर दिया जिन्होंने अपनी जमीन पर पहले से ही भूमि किसान बैंक से लोन ले रखा है, जिला सहकारी बैंक और गांवो में किसानो से लेन देन करने वाली सहकारी समीतियां भुईंया कार्यक्रम को सरकार का एक क्रांतिकारी कदम बता रही है मगर किसानों को इससे व्यवहारिक तौर पर भारी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है।

सहकारी बैंक के कर्मचारी और किसान झेल रहे परेशानियां
भुईंया योजना कितनी कारगर साबित होगी ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा मगर फिलहाल जिला सहकारी बैंक के कर्मचारी और किसान इस नये साफ्टवेयर को ठीक से समझ नहीं पाने के कारण भारी परेशानियां झेल रहे है।