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लोरमी में शर्मशार हुई मानवता, 50 बिस्तर अस्पताल में भर्ती है वृद्ध मरीज, सामाजिक रूप से गांव से बहिष्कृत हो चुका है मरीज

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Jul 6, 2019

संदीप सिंह ठाकुर : लोरमी में एकबार फिर मानवता शर्मसार हुई है। लंबे समय से बीमार चल रहे लाखासार निवासी रमेश वैष्णव जिन्हें कुछ दिनों पहले इलाज के लिए लोरमी के 50 बिस्तर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके 2 बड़े बच्चे भी हैं जो दिल्ली कमाने गए हुए हैं और वृद्ध रमेश वैष्णव को सामाजिक रूप पर गांव से बहिष्कृत भी कर दिया गया है।

क्या है पूरा मामला?
पूरा मामला लोरमी के सरकारी अस्पताल का सामने आया है जहाँ लाखासार के रहने वाले रमेश वैष्णव को 50 बिस्तर अस्पताल में किसी व्यक्ति के द्वारा शिकायत के आधार पर 108 के माध्यम से भर्ती कराया गया था। जिसके बाद किसी तरह उनके साथ अटेंडर नही होने की स्थिति में 2 दिन बाद 50 बिस्तर अस्पताल के प्रभारी द्वारा 102 वाहन में बैठाकर पुराने सरकारी अस्पताल के पीछे जहां लाश रखी जाती है वहां नग्न हालत में बीमार वृद्ध को मरने छोड़ दिया गया था। ना ही उन्हें खाने के लिए दिया जाता था। ना ही उनकी डॉक्टरी परीक्षण कराई जा रही थी। जिसकी जानकारी स्थानीय कांग्रेस नेता सागर सिंह ठाकुर को हुई तो उनके द्वारा पहल की गई और मानवता को देखते हुए कल उस वृद्ध मरीज को नहलाया गया। जिसे पुराने अस्पताल के एक कोने में रखकर ही उसका डॉक्टर द्वारा प्राथमिक उपचार कर दिया गया। 

अस्पताल में लगा दिया जाता है ताला
आरोप है कि उन्हें 50 बिस्तर अस्पताल तक नही ले जाया गया। साथ ही पुराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति यह है कि वहां साम 5 बजे के बाद कोई नही रहता और अस्पताल में ताला लगा दिया जाता है और ऐसे ही कल पूरी रात मरीज को पुराने खंडहर अस्पताल में अकेले छोड़ दिया गया था। वहीं आखिर सही इलाज के अभाव और उनके घर वालो की लापरवाही के चलते लंबे समय से बीमारी से ग्रस्त रमेश वैष्णव की आखिर देर रात मौत तो हो गई। लेकिन अब हालात यह बनी हुई है कि वृद्ध की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार कैसे होगा। क्योंकि जवाबदार उनके घर वालों के द्वारा शव को गांव ले जाने से इंकार कर रहे हैं। 

बीएमओ डॉ जीएस दाऊ का क्या है कहना?
ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर लाखासार निवासी रमेश वैष्णव को जिंदगी जीने का अधिकार नही है। क्या बिना अटेंडर के किसी बीमार मरीज का सही इलाज नहीं होगा..वही इस पूरे मामले को लेकर बीएमओ डॉ जीएस दाऊ से बात की गई तो उनका कहना है कल रात 9:00 बजे तक उनका उपचार किया गया और उसके बाद अचानक कल रात में ही रमेश वैष्णव की हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि बिना अटेंडर के 108 के माध्यम से उन्हें दो तारीख को लाया गया था और उनका दो दिनों तक 50 बिस्तर अस्पताल में रखकर इलाज किया गया। जिसके बाद ही उन्हें पुराने अस्पताल में रखने की बात कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिए। जिसके बाद कांग्रेस नेता सहित लोरमी पुलिस और मुक्तिधाम स्वच्छता टीम के सदस्यों द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया। वहीं इसकी शिकायत कांग्रेसियों द्वारा कल मुंगेली दौरे पर आ रहे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से करते हुए दोषी अस्पताल प्रबंधन पर कड़ी कार्यवाही करने मांग की जाएगी।