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पति के कटे सिर को गोद में रख सती हो गई थी पत्नी, आज बना है वहां सती मंदिर

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Mar 23, 2018

रायपुर। राजधानी का सती मंदिर यूं तो आकार में छोटा है, लेकिन इसका इतिहास उतना ही विशाल और रोचक है। ये मंदिर एक सती को श्रद्दांजली देने के लिए बनाया गया था।ऐसी मान्यता है कि यहां एक सेनापति की पत्नि ने युद्द में मारे गए अपने पति की कटी हुइ गर्दन को गोद में रखकर आत्मदाह कर लिया था।

क्या है इतिहास...

बताया जाता है कि 18 वीं सदी में हैहयवंशी राजा देवनाथ सिंह का रायपुर में शासन था। मराठा हमलावरों ने ब्रह्मपुरी स्थित तीन ओर से तालाबों से सुरक्षित किले पर कब्जा करने के लिए राजा देवनाथ सिंह के सेनापति हजारी लाल को मार डाला। हजारी लाल जिस जगह पर रहते थे, वर्तमान में उस जगह को नाहटा भवन के नाम से जाना जाता है।

हजारी लाल के वीरगति प्राप्त करने पर उनकी धर्मपत्नी उनके सिर को गोद में रखकर सती हो गईं। उस समय उस सती स्थल में मिट्टी पत्थर का चबूतरा बनाया गया। आज वह जगह मन्दिर के रूप में तब्दील हो गई और धीरे-धीरे लोगों की आस्था यहां से जुड़ती गई। इस मंदिर को आज सती मन्दिर कहा जाता है, और यहां के मोहल्ले की पहचान सती बाजार के नाम से है।