Loading...
अभी-अभी:

"चकमक अभियान" बना वरदान, अब घरों में ही अपनी प्रतिभा को निखार रहे बच्चे...

image

Jul 1, 2020

चंद्रकांत देवांगन : कोरोना महामारी के चलते बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र अब तक बंद हैं। ऐसे में छोटे बच्चों को लगातार उनकी शिक्षा से जोड़कर रखना और प्रतिभा में निखार लाने के लिए चलाया जा रहा चकमक अभियान एक वरदान साबित हो रहा है। 

बच्चों की प्रतिभा को निखारने का प्रयास 
बता दें कि, इस अभियान में जिले के 3 से लेकर 6 वर्ष तक के बच्चे अपने घरों में खेल खेल में अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की लगातार मॉनिटरिंग से बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों को ड्राइंग, पेंटिंग के साथ नई नई कलाकृति सिखा पा रहे हैं। हफ्ते के 5 दिनों में अलग अलग तरह के अभ्यास बच्चों को दिए जाते हैं, जिन्हें पूरा कराने में पालक भी अपनी भूमिका निभाते हुए अपने बच्चों की प्रतिभा को निखारने का प्रयास करते हैं। 

चकमक अभियान से बच्चों की जिंदगी में बिखर रहे नये रंग
दरअसल, जिले में 3 से 6 वर्ष के लगभग 60000 बच्चे हैं। इस अभियान से जुड़कर 80% बच्चे अब अपने घरों में ही वो सारी चीजें सीख रहे हैं, जो आंगनबाड़ी केंद्रों में सिखाई जाती थी। चकमक अभियान से नन्हे बच्चों की ज़िंदगी में रंग बिखर रहे हैं इससे बच्चों का बौद्धिक विकास भी हो रहा है। साथ ही परिजन भी यह समझ पा रहे हैं कि उनके बच्चे की रुचि किस क्षेत्र में है जो कि आगे जाकर बच्चों के शैक्षणिक विकास या कैरियर के चुनाव में भी बड़ी भूमिका निभा सकता है।