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शाही अंदाज में मनाई जाती थी होली होलकर राजवंश के काल में

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Mar 25, 2019

इंदौर में होलकर रियासत के काल में होली का त्योहार पांच दिन अर्थात् रंगपंचमी तक निरंतर मनाया जाता था। बहुत ही शाही अंदाज में होली खेली जाती थी। राजबाड़े पर विशेष आयोजन किया जाता था। रंगोत्सव में हाथी-घोड़े पर सवार होकर भी जनता पर रंग-गुलाल उड़ाया जाता था। सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता था और एक-दूसरे पर प्राकृतिक रंग से बने हुए गुलाल से होली का आनंद उठाता था।

होलिका दहन पर 21-21 राउंड फायर के साथ पांच तोपों की दी जाती थी सलामी

होली पर मार्तंड मल्हार मंदिर, गणेश हॉल और शाही खजाना समेत पूरा राजबाड़ा गुलाब जल, केवड़ा और इत्र से महक उठता था। राजबाड़ा चौक पर 40 बाय 40 के ओटले को पानी से धोकर तैयार किया जाता था। शाम 4 बजे होलिका दहन के लिए सुसज्जित चार घोड़ों की बग्घी में सवार होकर महाराजा होलकर की सवारी फौजी दस्ते के साथ पहुंचती थी। होलिका दहन होने के समय बंदूकधारियों द्वारा 21-21 राउंड फायर के साथ पांच तोपों की सलामी भी दी जाती थी। सोने के वर्क वाले 20 हजार पान लोगों और सैनिकों को खिलाए जाते थे। इसके साथ ही हर सैनिक को इनाम के साथ रोज भांग और आधा-आधा सेर मिठाई महाराजा की ओर से दी जाती थी। यह खेल रंगपंचमी तक बदस्तूर जारी रहता था। इस उत्सव को देखने के लिए राजबाड़े के उत्तरी दरवाजे पर महाराजा के लिए एक विशेष मंच तैयार किया जाता था। जहाँ बैठकर महाराजा उत्सव का लुल्फ लेते थे।