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अभी-अभी:

कांग्रेस की भद्द पिटवाते अपने ही नेता

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May 13, 2019

रमेश सर्राफ धमोरा

इसे भाजपा का सौभाग्य कहें या कांग्रेस का दुर्भाग्य कि कांग्रेस पार्टी जब- जब किसी चुनावी मुकाबले में पूरी तैयारी के साथ उतरने वाली होती है तो उसी समय उसका अपना ही कोई नेता गलतबयानी कर जाता है जिसके चलते कांग्रेस को बचाव की मुद्रा अपनानी पड़ती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के बड़े नेता मणीशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाय बेचने वाला बोल कर उनका उपहास उड़ाते हुये कहा था कि एक चाय बेचने वाला कभी देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता है। उस चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने खुद को चाय बेचने वाला बताकर इसे चुनाव प्रचार का मुद्दा बना दिया था। चाय वाले शब्द से नरेन्द्र मोदी को इतनी सहानुभूति मिली की भाजपा ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में पहली बार पूर्ण बहुमत से सरकार बना ली थी। उस चुनाव में कांग्रेस की सबसे बुरी गत हुयी थी जो मात्र 44 सीटो पर ही सिमट गयी थी।

2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में चल रही सत्ता विरोधी लहर में सभी यही मान कर चल रहे थे कि कांग्रेस वहां लम्बे समय से काबिज भाजपा को सरकार से हटा देगी। मगर चुनावी प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस नेता मणीशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नीच बोल कर पूरे चुनाव प्रचार की धारा ही मोड़ दी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अय्यर द्वारा उनको बोले गये नीच शब्द को पकड़ लिया व पूरे चुनाव प्रचार को खुद को कहे गये नीच शब्द पर फोकस कर दिया। मोदी को कांग्रेस नेता द्वारा नीच जाति का बताने को गुजरात की अस्मिता से जोडक़र मोदी गुजरात के मतदाताओं की सहानुभूति बटोर ले गये व वहां एक बार फिर से भाजपा सरकार बनाने में सफल रहे।

2019 के लोकसभा चुनाव में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष व खुद को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का राजनीतिक गुरू बताने वाले सैम पित्रोदा ने चुनावी अभियान के दौरान 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में हुआ सिक्खों के नरसंहार पर विवादास्पद टिप्पणी कर भाजपा को बेवजह ही एक नया मुद्दा दे दिया। सैम पित्रौदा के बयान से जहां सिक्खो की भावना तो आहत हुयी है वहीं भाजपा को भी कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया। सैम पित्रौदा का 1984 के सिक्खो के कत्लेआम पर हल्के ढंग से यह कहना कि कि उस वक्त जो हुआ तो हुआ आज कांग्रेस के गले की हड्डे बन गया है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ में अभी लोकसभा के वोट नहीं पड़े हैं ऐसे में वहां कांग्रेस को चुनावी घाटा होना स्वाभाविक है।

सैम पित्रौदा कांग्रेस के कोई छोटे नेता नहीं हैं। वो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के निकटतम मित्र रहें हैं। उनको राहुल गांधी का राजनीतिक गुरू माना जाता है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इन दिनो राहुल गांधी के वो सबसे बड़े सलाहकार बने हुये हैं। राजीव गांधी, मनमोहन सिंह सरकार में सैम पित्रौदा बड़े पदो पर रह चुके हैं। मनमोहन सिंह सरकार ने उन्हे राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का अध्यक्ष बनाकर केबीनेट मंत्री का दर्जा दिया था। कांग्रेस शासन में उसे पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।

सैम पित्रोदा ने मार्च में पुलवामा हमले पर भी विवादित बयान देकर कांग्रेस की भद्द पिटवा चुके हैं। पुलवामा में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर हुए आतंकी हमले को लेकर पित्रोदा ने कहा था कि ऐसे हमले होते रहते हैं। पित्रोदा तो यहां तक कह गए कि हमला कुछ आतंकियों ने किया था फिर इसकी सजा पूरे पाकिसतान को क्यों दी जा रही है? पित्रोदा ने बालाकोट एयर स्ट्राइक पर भी सवाल उठाए हैं। पित्रोदा ने ये कहते हुए एयर स्ट्राइक के सबूत मांगे थे कि क्या हमने सच में हमला किया? क्या वाकई में एयर स्ट्राइक में 300 आतंकी मारे गए। एक नागरिक होने के नाते मुझे और देश की जनता को इससे जुड़े तथ्यों की जानकारी लेने का हक है।

कांग्रेस के सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर ने तिरुवनंतपुरम में एक कार्यक्रम में कहा था कि अगर भारतीय जनता पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतती है तो वह हिंदू पाकिस्तान बनने जैसे हालात पैदा करेगी। थरूर ने आगे कहा कि बीजेपी नया संविधान लिखेगी जो भारत को पाकिस्तान जैसे मुल्क में बदलने का रास्ता साफ करेगा, जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों का कोई सम्मान नहीं होगा। थरूर ने कहा अगर बीजेपी दोबारा लोकसभा चुनाव जीतते हैं तो हमारा लोकतांत्रिक संविधान खत्म हो जाएगा क्योंकि उनके पास भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाने और एक नया संविधान लिखने वाले सारे तत्व हैं। उनका लिखा नया संविधान हिंदू राष्ट्र के सिद्धांतों पर आधारित होगा जो अल्पसंख्यकों के समानता के अधिकार को खत्म कर देगा और देश को हिंदू पाकिस्तान बना देगा।

गत वर्ष सैफुद्दीन सोज ने कश्मीर पर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के आजादी वाले विचार का समर्थन किया था। सोज ने अपनी पुस्तक कश्मीर ग्लिम्पसेज ऑफ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ स्ट्रगल में परवेज मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीर के लोग भारत या पाक के साथ जाने की बजाय अकेले और आजाद रहना पसंद करेंगे। सोज के बयान से कांग्रेस की काफी किरकिरी हुयी थी।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने गत दिनो कहा था कि केंद्र सरकार की दमनकारी नीति का सबसे ज्यादा नुकसान जम्मू कश्मीर की आम जनता को भुगतना पड़ता है। एक आतंकी को मारने के लिए 13 नागरिकों को मार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि हाल के आंकड़ों पर गौर करें तो सेना की कार्रवाई नागरिकों के खिलाफ ज्यादा और आंतकियों के खिलाफ कम हुई है। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने भी आजाद के इस बयान के समर्थन में प्रेस रिलीज जारी की थी व  उसके प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने कहा था कि गुलाम नबी आजाद ने जो बात कही है वह बिल्कुल सही है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने उरी हमले के बाद पाकिस्तान में भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक को ड्रामा बताते हुए कहा था कि उस सर्जिकल स्ट्राइक का कुछ भी असर नहीं हुआ।

कांग्रेस सरकार में विदेश मंत्री रहे आनन्द शर्मा, मनीष तिवाड़ी, रेणुका चौधरी, जयराम रमेश, राशिद अल्वी, प्रमोद तिवारी, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, संजय निरूपम, सांसद राजबब्बर, नवजोत सिंह सिद्धू जैसे नेता प्रधानमंत्री मोदी पर विवादास्पद बोल बोलते रहें हैं। कांग्रेस टिकट पर उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ रहे इमरान मसूद ने तो प्रधानमंत्री मोदी को टुकड़े-टुकड़े कर देने की धमकी दी थी। कांग्रेस राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का सपना देख रही है वहीं उन्ही की पार्टी के कुछ अपने  नेता ग्रहण लगाने पर तुले हुये हैं। कांग्रेस नेताओं के बेतुके बयानो से पार्टी को बार-बार सफाई देनी पड़ती है।

देश पर 55 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस पिछले चुनाव में मात्र 44 सीटो तक ही सिमट कर रह गयी थी। लगता है कि कांग्रेस नेताओं ने पार्टी की हार से कोई सबक नहीं सीखा है। कांग्रेस के नेताओं पर किसी का नियंत्रण नहीं लगता है तभी जिसके जो मन में आये वो बयान दे देता है जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ता है।

ऐसा लगता है कि कांग्रेस भी अपने नेताओं पर नियंत्रण नहीं करना चाहती है तभी तो गलत बयानी करने वाले नेता पर सख्त कार्यवाही की बजाय पार्टी उनके निजी बयान बताकर मामला टालने का प्रयास करती रहती है। गुजरात चुनाव के समय गलत बयानी के कारण मणिशंकर अय्यर को पार्टी से निकाला गया था मगर कुछ दिनो बाद ही उनको फिर से कांग्रेस में शामिल कर लिया गया था। ऐसे में गलतबयान देकर पार्टी की भद्द पिटवाने वाले नेताओं पर नियंत्रण होना मुश्किल लगता है। कांग्रेस नेताओं को अपनी पिछली गलतियों से सबक लेकर उनको सुधारने की बजाय मनमाने तरीके से गलतबयानी करने लगे हैं। जिससे कांग्रेस की साख आम जन में लगातार बिगड़ती जा रही है।

आलेख:-

रमेश सर्राफ धमोरा

स्वतंत्र पत्रकार